गोवर्धन पुजा को लेकर पहाड़ो रानी मसूरी के मंन्दिरों में श्रद्वालुओं की खासी भीड़ देखी गई मसूरी में सनातन धर्म मन्दिर. लक्ष्मी नारायण मंदिर, राधा कृष्ण मन्दिर में गोवर्धन पर्व पर भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा अर्चना की गई जिसके बाद मंदिरों में विषाल भण्डारे का आयोजन किया गया जिसमें मसूरी और आसपास के लोगो ने भारी संख्या में भंडारे में प्रसाद ग्रहण कर भगवान श्री कृष्ण का आर्शीवाद लिया। मसूरी राधा कृष्ण मंदिर के पुजारी आचार्य परशुराम भट्ट ने कहा कि लोकप्रिय किंवदंतियों के अनुसार, जब श्री कृष्ण ने वृंदावन के लोगों को देवराज इंद्र की जगह गोवर्धन की पूजा करने की सलाह दी, तो सब ने उनकी बात मान ली। यह जानकर देवराज इंद्र बहुत क्रोधित हुए और तेज वर्षा करने लगे। तब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर छाते की तरह फैला दिया।लगभग 7 दिनों तक ग्रामीण उसी पहाड़ के नीचे बैठे रहे। देवराज इंद्र को तब अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने श्रीकृष्ण से माफी मांगी। सात दिनों के बाद, श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रख दिया। तभी से प्रतिवर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पर्वत का पूजन कर अन्नकूट पर्व मनाया जाने लगा।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रीकृष्ण ने लगातार सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर धारण किया था। उन्होंने इस दौरान कुछ भी नहीं खाया-पिया। सात दिन बाद माता यशोदा और गांव वालों ने उनके लिए 56 व्यंजन बनाकर तैयार किए और श्रीकृष्ण को खिलाये। इसके बाद से ही छप्पन भोग की परंपरा चली आ रही है। इसके अलावा दूसरा कारण ये है कि भगवान विष्णु के कई आसन हैं। जिनमें कमल भी उनका आसन है। जिस कमल पर भगवान विष्णु विराजमान हैं, उसमें 56 पंखुड़ियां हैं। इसलिए भगवान कृष्ण को छप्पन भोग चढ़ाया जाता है।सनातन धर्म मन्दिर के सदस्य संजय अग्रवाल ने बताया की गोवर्धन पूजा पर हर साल कि भांति विषाल भण्डारे का आयोजन किया गया है जिसमें बड़ी संख्या में दूरदराज के गाँव से लोग के साथ ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे है सनातन धर्म सभा के संरक्षक राकेश अग्रवाल ने बताया कि पिछले 142 वर्षों से श्री सनातन धर्म मंदिर में गोवर्धन पूजा के अवसर पर भंडारे का आयोजन किया जाता है जिसमें लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं।