रविवार को आर्य समाज मसूरी के वार्षिकोत्सव का भव्यता से समापन हो गया। यज्ञ की ब्रह्मा द्रोणस्थली आर्ष कन्या गुरुकुल देहरादून की आचार्या डॉ अन्नपूर्णा जी के सान्निध्य में वेदपाठी दीपांशी, वेदिका, प्रतिभा व प्रतिज्ञा ब्रहमचारिणियों द्वारा देवयज्ञ सम्पन्न कराया गया। वार्षिकोत्सव के मुख्य वक्ता आचार्य डॉ कपिल मलिक ने यज्ञ के वास्तविक स्वरूप की चर्चा करते हुए कहा कि यज्ञ के तीन अर्थ हैं,
प्रथम देवपूजा, द्वितीय दान, तृतीय संगतिकरण। उन्होंने कहा देवपूजा करने के लिए सर्वप्रथम देव के स्वरूप को समझना होगा, यह बताते हुए उन्होंने कहा कि सब देवों का देव परमपिता परमात्मा है। व्यवहार के पांच देव माता, पिता, आचार्य, अतिथि और पति-पत्नी तथा इनके अतिरिक्त 33 कोटि देव हैं, जिसमे आठ वसु, ग्यारह रुद्र, बारह आदित्य, एक इन्द्र और एक प्रजापति। इस प्रकार से इनके स्वरूप को जब मनुष्य जान लेता है तो उचित प्रकार पूजा करने का अधिकारी बन जाता है।
आचार्या डॉ अन्नपूर्णा जी ने कहा कि यज्ञ करने वाले मनुष्य का घर सौभाग्य और धन धान्य से परिपूर्ण रहता है क्योंकि यज्ञ दुनिया का श्रेष्ठतम कर्म है। आर्य जगत के सुविख्यात भजनोपदेशक पंडित दिनेश पथिक जी ने प्रभु भक्ति, राष्ट्र भक्ति और दयानन्द महिमा के गीतों से सभी को सराबोर कर दिया। श्रीमती एवं श्री अरुण वर्मा जी, श्रीमती एवं श्री नितिन गुप्ता जी, श्रीमती रेणु मित्तल जी और श्रीमती एवं श्री अनुराग रस्तोगी जी यजमान रहें। कार्यक्रम का कुशल संचालन आनन्द रस्तोगी (मन्त्री) जी ने किया।
अन्त में आचार्या डॉ अन्नपूर्णा जी ने यजमानों को आशीर्वाद दिया। आर्य समाज के प्रधान नरेन्द्र साहनी ने सभी का धन्यवाद प्रकट किया। इस अवसर पर वैदिक साधना आश्रम तपोवन देहरादून के महामंत्री प्रेमप्रकाश शर्मा जी, देवेन्द्र सचदेवा जी, भारत भूषण रस्तोगी जी, अनुभव आर्य, बलबीर सिंह, सतीश आर्य सहित आर्य समाज मसूरी के समस्त पदाधिकारी एवं सदस्य तथा आसपास के क्षेत्र से अनेक सज्जन पुरुष महिलाएं उपस्थित रही।