रिपोर्टर सुनील सोनकर
मसूरी में बाबा बुल्ले शाह का सालाना उर्स धूमधाम से मनाया गया जहां सभी धर्मों के भक्तों ने बाबा की मजार पर चादर चढाई और बाबा का आर्शिवाद लिया। इस मौके पर मशहूर कव्वाल साजन घुंघरू वाले ने सर्वधर्म की कव्वाली सुना कर भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस मौके पर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया जिससे भक्तों ने प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया।


बाबा बुल्लेषाह का सालाना उर्स उनकी मजार पर हर्शाेल्लास के साथ मनाया गया। सर्वधर्म सदभाव की मिसाल बाबा बुल्लेषाह के उर्स पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का दर्षनों के लिए तांता लग गया था। इस मोके पर कमेटी की ओर से चादर चढ़ाई गई व उसके बाद श्रद्धालुओं ने चादरें व प्रसाद चढ़ाया। दिन भर यह क्रम जारी रहा। इस मौके पर ख्याति प्राप्त कव्वाल साजन बाबू घुंघरू वाले की टीम ने अपनी मनमोहक आवाज में बाबा बुल्ले शाह की शान में कव्वालियां प्रस्तुत की तो श्रोता झूम उठे।बाबा बुल्ले शाह मजार कमेटी के सदस्य रजत अग्रवाल ने बताया कि कोरोना काल के दो साल के बाद बाबा बुल्ले शाह का सालाना उर्स धूमधाम के साथ मनाया गया उन्होंने कहा कि बाबा बुल्ले शाह की मजार की खासियत यह है कि यहां हर मजहब के श्रद्धालु आते है हिंदू, मुस्लिम, ईसाई सिख सभी धार्मिक एकता का परिचय देकर मन्नते मांगते हैं व लोगों की मन्नतें पूरी होती हैं।

सुनील गोयल और इसरार अहमद ने बाबा के मजार के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 37 साल पहले बाबा बुल्ले शाह ने मसूरी में निवास कर रहे एक व्यक्ति को सपने में दर्शन दिए और उसके बाद इस स्थान पर बाबा की मजार को स्थापित किया गया जिसके बाद यहां पर बाबा के भक्तों का तांता लगातार बढ़ता चला गया और आज मसूरी से ही नहीं पूरे भारत से बाबा के श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिये आकर आर्शिवाद ग्रहण करते है
मसूरी के निवासियों के माने तो बाबा की मजार में हर वर्ग का श्रद्धालु दर्शन के लिये आता है । उन्होंने कहा कि बाबा की मजार में सभी वर्गों के लोग आते है आकर एकता का संदेश देते है।