मसूरी में 2023 में मसूरी को 200 साल पूरे हुए जाने को लेकर विवाद के बाद अब मसूरी के निर्माण करने वाले कैप्टन यंग को लेकर भी विवाद शुरू हो गया है मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने बताया कि मसूरी के निर्माण की नींव कैप्टन यंग ने नहीं बल्कि कैप्टन मैकमिलन के द्वारा रखी गई थी।उन्होने बताया कि कैप्टन यंग द्वारा मसूरी के निर्माण में अहम सहयोग किया परन्तु यह कहना बिल्कुल गलत है कि कैप्टन यंग ने मसूरी को निर्माण किया है। उन्होंने कहा कि मसूरी के निर्माण में बहुत से अधिकारियों का हाथ है जिसके द्वारा ब्रिटिश सरकार को मसूरी बनाये जाने की पैरवी की गई थी।
नगर पालिका प्रशासन द्वारा 200 साल पूरे होने पर कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है इसको लेकर लोगों में कड़ा एतराज जताया है खासकर इतिहासकार लेखक और इतिहास से जुड़े लोगों में खासी नाराजगी देखी जा रही है। उनका यह कहना है कि 2027 में मसूरी को 200 साल पूरे होने हैं ऐसे में नगर पालिका द्वारा मात्र राजनीति से प्रेरित होकर कार्यक्रम कराकर मसूरी को देश दुनिया में बदनाम करने की कोशिश कर रहा है। गोपाल भारद्वाज कहते हैं कि नगर पालिका प्रशासन मसूरी की 200 साल पूरे होने के प्रमाणित तथ्यों है। उन्होने कहा कि 1827 में मसूरी का निर्माण शुरू हुआ था। उन्होंने कहा कि उनके पास कैप्टन यंग की पुत्री की लिखित किताब मौजूद है जो 100 साल पहले लिखी गई थी।जिसमें स्पष्ट रूप से बताया है कि 1823 मसूरी े निर्माण को लेकर कुछ नहीं है वही मसूरी की निर्माण की नींव 1827 में कैप्टन मैकमिलन द्वारा रखी गई थी उन्होंने कहा कि 1814 में गोरखो से युद्ध जीतने के बाद अंग्रेज मसूरी आए थे । उन्होंने कहा कि जब 1814 में गोरखों से युद्व जीतने के बाद देहरादून ,मसूरी और आसपास का क्षेत्र अंग्रेजो के कब्जे में आ गया था जिसके बाद अधिकारी और सर्वेयर द्वारा मसूरी में यहां पर आया पिकनिक और हंटिंग करने आया करते थे उन्होंने कहा कि अंग्रेजों द्वारा उस समय हंटीग हाउस बनाये गए थे। उसी दौरान कैप्टन यंग मसूरी में शिकार करने आते थे और कैमल बैक रोड में पहला हंटिंग बॉक्स बनाएगा था उसके बाद लगातार मसूरी में कई हंटिंग बॉक्स का निर्माण हुआ । नगरपालिका 1823 को मसूरी का स्थापना दिवस के रूप में देख रही है वह गलत है। उन्होंने कहा कि मसूरी की स्थापना का श्रेय कैप्टन मैकमिलन को मिलना चाहिए वह कैपटन मैकमिलेन द्वारा शिमला का निर्माण करवाया गया। उन्होने कहा कि मसूरी के निर्माण में बहुत से अंग्रेजी अधिकारियों कायोगदान है जिसमें लोर्ड कोमबवेयर, जनरल आर्क्टिनरी आदि है जिनके द्वारा ब्रिटिश सरकार से मसूरी के निर्माण को लेकर प्रस्ताव दिया गया था। उन्होंने कहा कि विभिन्न युद्व में घायल जवानों को इलाज के लिये इंग्लैंड ले जाया जाता था जिसमें काफी समय लगता था। जिसको लेकर मसूरी में सेनेटोरियम बनाए जाने का प्रस्ताव रखा गया।
मसूरी का मौसम और वातावरण यूरोप के अनुरूप था और यहां पर 1827 में पहला सेनेटोरियम बनाया गया। उन्होंने कहा कि मसूरी को टेंपल ऑफ हेल्थ भी कहा जाता था। उसके बाद ब्रिटीष सरकार को मसूरी बनाए जाने का प्रस्ताव दिया गया गया जिसके बाद कैप्टन मैकमिलन द्वारा इसकी शुरुआत की गई। उन्होने कहा कि कैप्टन यंग देहरादून में मजिस्ट्रेट बन कर आये और उनके द्वारा मसूरी में पटेटो गार्डन का निर्माण कराया गया। उन्होने कहा कि कैप्टन यंग का नाम मसूरी के निर्माण में इसलिये जोडा जाता है क्येकि वह मसूरी के विकास के कामो्र में लगातार जुड़े रहे। उन्होने कहा कि मसूरी के निर्माण मात्र कैप्टन यंग का योगदान है कहना गलत है ।मसूरी में कई बड़े ऐसे नाम हैं जिनका नाम इससे जुड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि नगरपालिका को मसूरी के 200 साल बनाए जाने से पहले मसूरी के इतिहासकार बुद्धिजीवी प्रोफेसर से सलाह मशवरा किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि मसूरी पूरे विश्व का एक बहुत सुंदर हिल स्टेशन के रूप में विख्यात है जिसकी डॉक्युमेंट्स हिस्ट्री आज भी मौजूद है। उन्होंने कहा कि 200 साल मनाया जाना कोई छोटा कार्यक्रम नहीं है ऐसे में केन्द्र से लेकर राज्य सरकार के प्रतिनिधि शामिल होने चाहिए थे । उन्होंने कहा कि इन 200 सालों में मसूरी में देश विदेश की महान हस्ती महात्मा गांधी जवाहरलाल नेहरू इंदिरा गांधी राजीव गांधी सरदार वल्लभभाई पटेल राजे महाराज नवाब आदि आये है जिनके आशियाना आज भी मौजूद है ऐसे मसूरी के 200 साल बड़े धूमधाम और भव्य रूप से मनाया जाना था।