19 मई 2023 को मशहूर लेखक पद्मश्री पद्मभूषण से सम्मानित रस्किन बॉन्ड का 89 जन्मदिन है जिसको लेकर मसूरी के लोगों और उनके प्रशंसकों में खुशी की लहर है इस बार रस्किन बॉन्ड अपने प्रशंसकों से करीब 3 साल के बाद मिलेंगे और उनके द्वारा हस्ताक्षर की गई किताबें भी दी जाएगी । रस्किन बॉन्ड के जन्म दिवस को लेकर मसूरी बडोनी चौक पर स्थित कैंब्रिज बुक डिपो में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। कैंब्रिज बुक डिपो के स्वामी सुनील अरोड़ा ने बताया कि रस्किन बॉन्ड के जन्मदिवस को लेकर लोगों में काफी उत्साह है अभी से देश-विदेश से लोग मसूरी आने लग गए हैं उन्होंने बताया कि इस बार रस्किन बॉन्ड अपने प्रशंसकों को प्रकृति पर आधारित किताब ऑल टाइम फेवरेट नेचर स्टोरीज का विमोचन करेंगे। उन्होंने बताया कि रस्किन बॉन्ड शुक्रवार को दोपहर 3.30 बजे दुकान पर पहुंचेंगे वह 4 बजे केक काटा जाएगा और उसके बाद वह अपने प्रशंसकों से मिलेंगे और उनकी लिखित पुस्तकों को हस्ताक्षर करके अपने प्रशंसकों को देंगे। उन्होंने बताया कि इस बार रस्किन बॉन्ड के प्रशंसकों के लिए उन्होंने विशेष प्रकार का बैग और बैंच तैयार कराये गए है जो उनके प्रशंसकों को उनकी ओर से भेट स्वरूप् दिये जायेगे।
बता दे कि रस्किन बांड के द्वारा कोरोना काल में धर में ही वह तीन सात में उनके द्वारा लगातार अपनी कलम की स्याही से अपने प्रषसंको के लिये किताब लिखते रहे ।
ब्रिटिश आर्मी में भर्ती रस्किन के दादा 1880 में भारत आए थे. उन्होंने एक भारतीय महिला से शादी की, जिससे बॉन्ड के पिता जन्मे और उन्होंने एक एंग्लो-इंडियन से शादी की, जहां 19 मई 1934 को बॉन्ड का जन्म हुआ. हालांकि यह परिवार बहुत हंसी-खुशी वाला नहीं रहा. बॉन्ड के माता-पिता का तलाक हो गया और बचपन में ही पिता की मृत्यु हो गई. 17 साल की उम्र में रस्किन बॉन्ड इंग्लैंड भी गए, लेकिन जल्द ही भारत लौट आए.। इसके बाद तो वह भारतीयता के रंग-ढंग में ऐसे रंगे कि यहां का मौसम-वादियां, घटाएं, धूप, नदी पर्वत और छोटे कीड़े भी उनकी कहानियों का हिस्सा बनते चले गए.
रस्किन वर्ष 1964 में पहली बार मसूरी आए थे। पहाड़ों की रानी उन्हें इतनी पसंद आई कि वह मसूरी के ही बनकर रह गए। यहां रहकर उन्होंने कई उपन्यास लिखे। इनमें द ब्लू अंब्रेला, एक था रस्टी कहानी पर टीवी शो बना था। उनकी किताब ‘सुजैन सेवेन हसबैंड’ पर फिल्म ‘सात खून माफ बनी थी’। रस्किन बांड का पहला उपन्यास द रूम ऑन द रूफ को वर्ष 1957 में जॉन लेवलिन राइस पुरस्कार मिला था। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका है। रस्किन बच्चों के लिए सैकड़ों कथाएं, निबंध और उपन्यास लिख चुके हैं। वर्ष 1999 में उन्हें पद्मश्री और 2014 में पद्मभूषण मिल चुका हैं।
अपने मौसम और हरियाली के अलावा देहरादून और मसूरी की एक और विशेष पहचान हैं। वो है मशहूर अंग्रेजी लेखक रस्किन बांड। दूसरे शब्दों में कहें तो रस्किन बांड का साहित्य भी बहुत हद तक दोनों पहाड़ी शहरों के विश्व प्रसिद्ध ख्याति का परिचायक है। उन्होंने द थीफ, व्हेन डार्कनेस फॉल्स, अ फेस आन द डार्क, द काइट मेकर, द टनल , अ फ्लाइट्स ऑफ पिजन, द वुमन आन प्लेटफार्म, मोस्ट ब्यूटीफुल, डेल्ही इज नॉट फार, एंग्री रिवर …. जैसी पांच सौ से भी अधिक कहानियां, उपन्यासों, लेख और कुछ कविताओं की रचना की। कथावस्तु बहुत सामान्य और सरल होने के बावजूद भी उनकी हर रचना दिल पर एक खास प्रभाव छोड़ जाने में कामयाब रहती है।
बॉन्ड को दो चीजें बेहद पसंद हैं. एक तो हल्की-हल्की पहाड़ी बारिश और इन बारिशों में गर्मा-गर्म जलेबियां मिल जाएं तो कहना ही क्या, दो दिन पहले ही उन्होंने पूर्व में इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर साझा कि जिसमें वह जलेबी खा रहे हैं और मसूरी में हो रही है