मसूरी में एनजीटी के निर्देशों के बाद मसूरी घोबीघाट झील से टैंकरों के माध्यम से पेयजल होटलों में सप्लाई करने पर रोक लगाये जाने के बाद मसूरी में पेयजल का संकट मंडराने लगा है जिससे होटल संचालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड रहा है। जिसको लेकर मसूरी के विभिन्न संगठन मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन के नेतृत्व में तीन दिवसीय चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करने के लिये रणनीति बनाई गई है जिसको लेकर 15 फरवरी को गांधी चौक पर मौन व्रत, 16 फरवरी को शहीद स्थल, मसूरी पर धरना प्रर्दषन और 17 फरवरी को किंक्रेग, मसूरी पर चक्का जाम किया जायेगा। मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने बताया कि मसूरी में 322 होटल, 245 पंजीकृत होम स्टे हैं, अनेक गेस्ट हाउस हैं और लगभग 5600 उत्तराखंड जल संस्थान के उपभोक्ता हैं। मसूरी में सारा व्यवसाय और रोजगार पर्यटन पर निर्धारित है। मसूरी में साल भर में संपूर्ण विश्व से लगभग 25 लाख से लोग मसूरी घूमने आते हैं और समस्त उत्तराखंड वासियों की अर्थव्यवस्था और रोजगार में सहयोग करते हैं। मसूरी से कम से कम 200 करोड़ के राजस्व का सहयोग भी प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मिलता है। उन्होने कहा कि मसूरी में 14 एमलीडी पानी की आवश्यकता रहती है और उत्तराखंड जल संस्थान, मसूरी के पास सिर्फ 7 एमएलडी पानी की उपलब्धता है बाकी 7 एमएलडी पानी की उपलब्धता मसूरी के आस पास के पानी के प्राकृतिक श्रोत से निजी पानी के टैंकर द्वारा होती आई है। इसी प्रकार से मसूरी में पूर्ण रूप से रिहायशी और व्यावसायिक उपभोक्ताओं को पानी की पूर्ती होती हैं। उन्होंने बताया कि 12 जनवरी को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, नई दिल्ली, द्वारा निर्देश देते हुए मसूरी में झील से प्राकृतिक पानी के स्रोत से पानी लेने पर एकाएक रोक लगा दी गयी है जो मसूरी के उपभोक्ता, रिहाइशी और व्यावसायिक सभी के लिए परेशानी है । मसूरी में पानी न मिलने से पर्यटकों और स्थानीय निवासियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड रहा है। उन्होने कहा कि 15 फरवरी से पहले अगर उत्तराखंड सरकार, देहरादून जिला प्रशासन और उत्तराखंड जल संस्थान द्वारा इस पानी की आई कमी के लिये सुचारू कदम और निर्देश नहीं दिये गये तो मसूरी के मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन, मजदूर संघ मसूरी, मसूरी होम स्टे एसोसिएशन मसूरी, आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मसूरी पानी टैंकर एसोसिएशन द्वारा क्रमवार जन आंदोलन किया जायेगा जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।
सुनील सोनकर
संपादक