मसूरी के पास टिहरी जनपद में जौनपुर प्रखंड के सुरकुट पर्वत पर प्रसिद्ध सिद्ध पीइ मां सुरकंडा का मंदिर स्थित है। यह माना जाता है कि यहां आने वाले किसी भी भक्त को देवी मां निराश नहीं करती। नवरात्र को लेकर मां सुरकंडा में भक्तों का तांता लगा हुआ है कई भक्त पैदल पहुंचकर मां के मंदिर के दर्शन के लिये आ रहे है तो कई ट्रॉली से मंदिर पहुंचकर मां सुरकंडा के दर्शन कर रहे है।


पौराणिक कथाओं के अनुसार सुरकंडा देवी की कहानी उस समय की है जब राजा दक्ष ने एक महान यज्ञ का आयोजन किया, जिसमे उन्होंने सभी देवताओं, देवताओं और ऋषियों को आमंत्रित किया, लेकिन जानबूझकर अपने दामाद शिव को अपमानित करने के लिए उनको आमंत्रित नही किया। अपने पिता के फैसले से आहत होकर, सती ने अपने पिता से मिलने का फैसला किया और उन्हें आमंत्रित न करने का कारण पूछा। लेकिन उसके विपरीत दक्ष ने शिव का अपमान किया। अपने पति के खिलाफ कुछ भी सहन करने में असमर्थ, देवी सती खुद यज्ञ की आग में कूद गयी और अपने प्राण दे दिए। जब शिव जी को अपनी पत्नी के निधन की सूचना दी, तो वह क्रोधित हो गए और उन्होंने वीरभद्र को पैदा किया।


वीरभद्र ने दक्ष के महल में कहर ढाया और उनकी हत्या कर दी।इस बीच अपनी प्रिय आत्मा की मृत्यु का शोक मनाते हुए, शिव ने सती के शरीर को कोमलता से पकड़ लिया और विनाश (तांडव) का नृत्य शुरू कर दिया। ब्रह्मांड को बचाने और शिव की पवित्रता को वापस लाने के लिए, भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र का उपयोग करके सती के निर्जीव शरीर को 51 टुकड़ों में काट दिया। जिससे माता सती का सर इस स्थान पर गिरा था इसीलिए इस मंदिर सुरकंडा देवी के नाम से जाना जाता है।इन सभी बातों का उल्लेख केदारखंड और स्कंद पुराण में मिलता है।
ऊंची चोटी में स्थित होने के कारण भक्तगण इस मंदिर के समीप चोटी से चंद्रबदनी मंदिर, तुंगनाथ, चौखंबा, गौरीशंकर, नीलकंठ और दून घाटी आदि धार्मिक स्थान देख सकते हैं

टिहरी जिले के जौनपुर के सुरकुट पर्वत पर सुरकंडा देवा का मंदिर है। यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है जो कि नौ देवी के रूपों में से एक है। यह मंदिर 51 शक्ति पीठ में से है। इस मंदिर में देवी काली की प्रतिमा स्थापित है। केदारखंड व स्कंद पुराण के अनुसार राजा इंद्र ने यहां मां की आराधना कर अपना खोया हुआ साम्राज्य प्राप्त किया था। मान्यता है कि नवरात्रि व गंगा दशहरे के अवसर पर इस मंदिर में देवी के दर्शन से मनोकामना पूर्ण होती है। नवरात्रि में यहां जबरदस्त भीड़ नजर आती है।लगभग 2.5 किलोमीटर की पैदल चढाई कर सुरकंडा माता मंदिर 2750 मीटर की ऊंचाई पर है। यह मसूरी चंबा मोटर मार्ग पर धनोल्टी से 8 किलोमीटर की दूरी पर है। नई टिहरी से 41 किलोमीटर की दूरी पर चंबा मसूरी रोड पर कद्दूखाल स्थान है जहां से लगभग 2.5 किलोमीटर की पैदल चढाई कर सुरकंडा माता के मंदिर तक पहुंचा जाता है। हालांकि अब यहां रोपवे शुरू हो गया है।