मसूरी एमपीजी कॉलेज छात्रसंघ चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा महासचिव पद पर नामांकन वापस ले लिया गया है अब एमपीजी छात्र संघ चुनाव में कुल 20 प्रत्याशी मैदान में हैं जिनमें से तीन अध्यक्ष, तीन महासचिव, दो कोषाध्यक्ष, तीन सह सचिव, तीन विश्वविद्यालय प्रतिनिधि और तीन कार्यकारिणी सदस्य के लिए मैदान में है। एमपीजी कॉलेज छात्रसंघ चुनाव के प्राचार्य डाॉ सुनील पवार और चुनाव अधिकारी पीएस चौहान ने बताया कि छात्र संघ चुनाव को लेकर सभी तैयारियां पूरी हो चुकी है ववा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा महासचिव के पद पर अपना नाम वापस लिया है इसके बाद चुनाव में 20 प्रत्याशी मैदान पर है जिसमें एबीवीपी से अध्यक्ष पर प्रीतम लाल, उपाध्यक्ष पर सौरभ सिंह, महासचिव पर शीला, कोषाध्यक्ष पर अंजली और विश्वविद्यालय प्रतिनिधि पर मोहन है एनएसयूआई ने अध्यक्ष पर नवीन शाह, महासचिव पर योगष, उपाध्यक्ष पर अनुज रांगड, महासचिव पर विकास चौहान, कोषाध्यक्ष पर लक्ष्मी और विश्वविद्यालय प्रतिनिधि पर प्रदीप रावत है जौनपुर ग्रुप ने अध्यक्ष पर रोहन राणा(हिम्मत), महासचिव पर अमन कैन्तुरा, उपाध्यक्ष पर रंजीता, सहसचिव पर सीमा पंवार और विश्वविद्यालय प्रतिनिधि पर संस्कार जोशी है और मसूरी छात्र संगठन से रजीत रावत महासचिव पद है। उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट को अपडेट करने का काम लगातार जारी है लगभग 900 वोटर छात्र संघ चुनाव में अपने मत का प्रयोग करेंगे ।उन्होंने बताया कि 24 दिसंबर को सुबह 9 बजे से दोपहर 1ः30 बजे तक वोट डाले जाएंगे उसके उपरांत मतगणना की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी व उसी दिन परिणाम घोशित किये जायेगे। उन्होंने बताया कि चुनाव को कालेज परिसर में सुरक्षा को लेकर भारी पुलिस बल तैनात किया जायेगा जिससे कि किसी प्रकार का हुडदंग ना हो। वही चुनाव को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराए जाने को लेकर उनके द्वारा सभी छात्र नेताओं से बैठक कर चुनाव को षांतिपूर्वक संपन्न कराये जाने का आग्रह किया गया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री कैलाश बिष्ट ने बताया कि उनके महा सचिव पद के प्रत्याशी उमेद सिंह कुमाई का नौकरी पर जाने का पत्र प्राप्त हुआ जिसके बाद उनके प्रत्याषी ने महासचिव से अपना नामांकन वापस लेना पड़ा। वहीं विपक्ष का कहना है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा एक सोची-समझी रणनीति के तहत महासचिव पद से नामांकन वापस लिया गया है। वहीं दूसरी ओर एनएसयूआई महासचिव पद पर नाम वापस लेने के लिए गई थी परंतु नामांकन वापस लेने का समय अधिक होने के कारण चुनाव अधिकारी द्वारा नामांकन वापस नहीं लिया गया।
सुनील सोनकर
संपादक