

पहाड़ों की रानी मसूरी में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है मसूरी के राधाकृश्ण मंदिर, सनातन धर्म मंदिर, मसूरी लक्ष्मी नारायण मंदिर, नाग मंदिर को सजाया गया । मंदिरों में सुबह से भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा अर्चना की गई। वही सुबह से लोग मंदिर में पहुंचकर श्री कृष्ण भगवान की पूजा अर्चना कर आर्शीवाद लेते रहे प्रत्येक वर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर मसूरी के सभी मंदिरों में कार्यक्रम आयोजित किये गए। मसूरी के मंदिरों में जन्माष्टमी के अवसर पर विशेष तैयारी की गई ।


शाम से भजन संध्या आयोजित की गई जिसमें भगवान श्री कृष्ण के भजन गाये गए जिसने सभी के मन को मोह लिया। वह रात्री 12 बजे विशेष आरती कर प्रसाद वितरण किया गया। ।मसूरी राधा कृष्ण मंदिर के आचार्य परशुराम भट्ट ने बताया कि साल 2023 में भी कृष्ण जन्मोत्सव 06 सितंबर और 07 सितंबर को मनाया जाएगा. ऐसा किसी एक साल नहीं बल्कि हर साल होता है। जन्माष्टमी का पर्व दो दिन मनाए जाने के पीछे दो तरह की परंपरा और मान्यताएं भी हैं. पहले दिन जन्माष्टमी का पर्व स्मार्त यानी गृहस्थ लोग मनाते हैं. वहीं दूसरे दिन वैष्णव संप्रदाय से जुड़े लोग या साधु-संत मनाते हैं। दो दिन जन्माष्टमी मनाए जाने का कारण यह है कि, स्मार्त इस्कॉन पर आधारित कृष्ण जन्म की तिथि का पालन नहीं करते. स्मार्त उन्हें कहते हैं तो स्मृति आदि धर्मग्रंथों को मानते हैं और इसी के आधार पर व्रत आदि करते हैं.वहीं दूसरी ओर वैष्णव उन्हें कहते हैं जो, विष्णु के उपासक होते हैं और विष्णु के अवतारों को मानने वाले होते हैं. वैष्णव संस्कृति में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के अनुसार ही जन्माष्टमी मनाई जाती है. ऐसे में स्मार्त सप्तमी तिथि को ही जन्माष्टमी मनाते हैं.