


मसूरी में उत्तराखंड की जिया साहित्य कुटुंब अकादमी द्वारा मसूरी के राधा कृष्ण मंदिर के सभागार में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश नौटियाल, पूर्व सभासद अनीता सक्सेना और मसूरी ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। आपसी सौहार्द एवं एकता, भाईचारे का संदेश देते हुए आयोजित कवि सम्मेलन में संपत सरल ने अपनी वहीं परिचित व्यंग्यात्मक कविता पाठ किया। इस मौके पर साहित्य और सामाजिक कार्य के क्षेत्र में अहम योगदान देने वाले करीब एक दर्जन लोगों को सम्मानित किया गया।


कवि सम्मेलन, की विशेष तौर पर सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश की। कवि श्रीमती जिया हिंदवाल, संजय जैन, लक्ष्मी प्रसाद बडोनी, अरुण भट्ट, योमेथ बहुगुणा योगी, क्रिशांत गहतोडी, फोजिया, अफजाल, कुमार राघव, उमाशंकर मनमोजी, सुरेंद्र कुमार शर्मा, रूबल कुमार, नीलम डिमरी, रईस सिद्धकी, अब्दुल सुबाहन खान, साकिर बैहरवी, बंपर बहराइची इकबाल अकरम, विनीता चोपड़ा, शकुंतला इश्टवाल, विजयलक्ष्मीकी काव्यात्मक, देष प्रेम और व्यगात्मक कवितायें पेष कर खूब तालियां बटोरी।
उत्तराखंड की जिया साहित्य कुटुंब संस्था के अध्यक्ष जिया हिंदवाल ने बताया कि उनका साहित्य के प्रति बचपन से रुझान है। उन्होंने कहा कि उनका मकसद है कियुवा पीढ़ी को हिंदी और उर्दू का भाषा की तरह उनको आकर्षित करें जिससे हिंदी और उर्दू भाषा के प्रति उनका लगाव हो। उन्होंने कहा कि कवि सम्मेलन के माध्यम से जहां मनोरंजन होता है वहीयुवा पीढ़ी को हिंदी और उर्दू भाषा की वारीकियों को जानने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिपेक्ष में देश में हिंदू मुस्लिम चल रहा है जो ठीक नहीं है उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान सभी धर्म और जाति से बना एक देश है और यहां पर सभी लोग भाईचारे का संदेश देते हुए आपसी सौहार्द के साथ रहते हैं। उन्होने कहा कि कवि सम्मेलन के माध्यम से जा देश प्रेम की भावना जगाने का काम किया गया वही देश में आपसी सौहार्द को कायम करने पर भी जोर दिया गया । उन्होंने कहा कि हिंदी और उर्दू का प्रेम सदियों से चला आ रहा है जहा जहां उर्दू मीठी जुबान है तो हिंदी एक पवित्र भाषा है।



मुख्य अतिथि पूर्व पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल ने कवि सम्मेलन के आयोजकों को शुभकामनाएं दी उन्होंने कहा कि संस्था द्वारा देश की संस्कृति के संरक्षण के लिए काम कर रही है बोली भाषा पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है हिंदी और उर्दू का मिश्रण करके जिस तरीके से कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया वह सराहनीय पहल है। उन्होने कहा कि कवि सम्मेलन के दौरान कवियों ने कविताओं के माध्यम से वर्तमान में देश की हालत पर प्रकाश डाला तो वही पत्रकारों पर भी व्यंग कसा। उन्होने कहा कि कवियों द्वारा कविताओं के माध्यम से आपसी सौहार्द की मिसाल देते हुए एक दूसरे के भाषाओं के माध्यम से देश के प्रति अपना प्रेम व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कवि सम्मेलन जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित होना जरूरी है जिससे युवा पीढ़ियों को देष की संस्कृति से जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि आज की भागदौड़ की जिंदगी में लोगों तक हमें कार्यक्रम कवि सम्मेलन जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में शिरकत करने का समय नहीं है पर उत्तराखंड की जिया साहित्य कुटुंब संस्था द्वारा मसूरी में कवि सम्मेलन आयोजित कर अच्छी पहल की गई है और कवि सम्मेलन में श्रोताओं की भीड़ को देखते हुए लगा कि आज भी कवियों को सुनने वाले श्रोताये हैं ।