मसूरी नगर के एमपीजी कॉलेज में एसपी जोशी के त्यागपत्र के बाद आज तक नगर पालिका परिषद के द्वारा नियुक्ति को लेकर किये जा रहे बड़े भ्रष्टाचार के कारण नियमित प्राचार्य की नियुक्ति नहीं हो पाई है। बता दे कि प्राचार्य की नियुक्ति के लिये 29 अगस्त 2022 को साक्षात्कार कराया गया था। परन्तु पाँच महीने से भी अधिक समय बीत जाने पर भी प्राचार्य की नियुक्ति नहीं हो पाई है। जबकि पिछले तीन वर्षों से कॉलेज कार्यवाहक प्राचार्य डा. सुनील पवार के रूप में कार्य कर रहे है। सूत्रों की मानें तो प्राचार्य की चयन प्रक्रिया में भारी अनियमितताओं सामने आई है। चयन समिति में विश्वविद्यालय के विषय विशेषज्ञ, उच्च शिक्षा के निदेशक, संबंधित विश्वविद्यालय के कुलपति तथा प्राक्तन शिक्षक संगठन के किसी पदाधिकारी का शामिल न होना घोर अनियमितताओं कर काॅलेज प्रबंध समिति ने यूजीसी तथा प्रांतीय शासन के निर्देशों का उलधन्न किया गया है। कॉलेज के वरिष्ठ प्राध्यापक डाॅ. प्रमोद भारतीय ने सूचना का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत साक्षात्कार में प्रत्येक अभ्यर्थी को दिये गये अंकों और साक्षात्कार की वीडियोग्राफी के संबंध में हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के लोक सूचना अधिकारी से सूचना मांगी थी। उक्त अधिकारी ने जब कॉलेज प्रबंधक को सूचना उपलब्ध कराने को कहा तो प्रबंध समिति के अध्यक्ष अनुज गुप्ता ने सूचना उपलब्ध कराने से इन्कार कर दिया था जिसके बाद विश्वविद्यालय के प्रथम अपील पदाधिकारी ने डाॅ. भारतीय को नई दिल्ली स्थित केन्द्रीय सूचना आयोग जाने की इजाजत दे दी है। जिसके बाद डाॅ. भारतीय द्वारा पालिका प्रशासन और अध्यक्ष अनुज गुप्ता के द्वारा सूचना के अधिकार के खुल्लेआम मजाक बनाये जाने के साथ मांगी गई सूचना को लेकर केंद्रीय सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया गया है। पत्रकारों से बात करते हुए डा. प्रमोद भारतीय ने कहा कि उनके द्वारा भी कालेज प्राचार्य के पद के लिये आवेदन किया गया था। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र रह चुके हैं। वे न केवल सभी परीक्षाओं में प्रथम श्रेणी लेकर काॅलेज की सेवा में आये थे अपितु कई भाषाओं के अधिकारी विद्वान् भी हैं। चार भाषाओं में उन्होंने एमए कर रखा है। सत्ताईस वर्षों की सेवा करने और पाँच वर्षों के प्राचार्य बताया कि बारह आमंत्रित अभ्यर्थियों में केवल सात अभ्यर्थी ही साक्षात्कार में भाग लेने आये। उन सात में तीन सफल अभ्यर्थियों की नामिका बनाई गयी और इन तीन नामों में भी उनका नाम नहीं है। जिसके बाद उनके द्वारा कॉलेज प्रबंध समिति और नगर पालिका प्रशासन से प्राचार्य भर्ती को लेकर अपनाई गई कार्यवाही की जानकारी मांगी गई परंतु दुर्भाग्यवश कॉलेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष मसूरी नगर पालिका अध्यक्ष और अधिकारियों द्वारा कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई क्योंकि उनके द्वारा कालेज के प्राचार्य नियुक्ति को लेकर बड़ा घोटाला और बडे पयमाना में भ्रष्टाचार किया गया है।
सुनील सोनकर
संपादक