मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ,नई दिल्ली को षिकायत कर मसूरी में एनजीटी के निर्देशों के बाद मसूरी धोबी घाट झील से टैंकरों के माध्यम से पेयजल सप्लाई पर रोक बला दी गई है जिस कारण मसूरी के होटल, होमस्टे और गेस्ट हाउस संचालकों में पेयजल का संकट मंडराने लगा है। मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत अग्रवाल ले कहा कि मसूरी में में 322 पंजीकृत होटल हैं, 245 पंजीकृत होम स्टे हैं, अनगिनत गेस्ट हाउस हैं और लगभग 5600 उत्तराखंड जल संस्थान के उपभोक्ता हैं। उन्होंने कहा कि मसूरी में 14 एमएलडी पानी की आवश्यकता रहती है और उत्तराखंड जल संस्थान, मसूरी के पास सिर्फ 7 एमएलडी पानी की उपलब्धता है जिसको वह कनेक्शन द्वारा उपभोक्ताओं को देते हैं । बाकी 7 एमएलडी पानी की उपलब्ता मसूरी के आस पास के पानी के प्राकृतिक स्रोतों से निजी पानी के टैंकर द्वारा होती रही है। इसी प्रकार से मसूरी में पूर्ण रूप से रिहायशी और व्यावसायिक उपभोक्ताओं को पानी की पूर्ती होती हैं । हाल ही में 12 जनवरी को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, नई दिल्ली, द्वारा निर्देश देते हुए मसूरी में झील प्राकृतिक पानी के स्रोत से पानी होटलों को टैंकरों के माध्यम से सप्लाई किया जा रहा था जिस पर रोक लगा दी गई थी। उन्होने कहा कि एनजीटी के निर्देषों से मसूरी के लोगो में भारी आक्रोश व्याप्त हैं वह पानी न मिलना मानव अधिकार का हनन है । उन्होने राश्ट्रीय मानव अधिकार आयोग से आग्रह किया कि एनजीटी के द्वारा दिए गए फैसले पर जल्द से जल्द हस्तक्षेप करके पानी की पूर्ति में आई रुकावट को दूर कर मसूरी निवासियों के अधिकारों का संरक्षण करने की कार्यवाही की जाये।
सुनील सोनकर
संपादक