मसूरी ग्राम सभा भटटा क्यारकुली के इतिहास में पहली बार नाग देवता गांव भ्रमण पर निकले जहां पर नाग देवता की डोली का ग्रामीणों द्वारा फूलों से भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान पूरे गांव को दुल्हन की तरह सजाया गया है ग्रामसभा भ्रमण के बाद नाग देवता की डोली अपने स्थान मसूरी नगा मंदिर पहुंची जहां पर ढोल दमाऊ की थाप पर नाग देवता अपने भक्तों पर अवतरित हुए । सभी मौजूद श्रद्धालुओं ने नाग देवता से मनोकामनाएं मांगी। इस दौरान पूरा मंदिर प्रांगण नाग देवता की जयकारों से गूंज उठा ।

स्माजिक कार्यकर्ता राकेश रावत ने बताया कि गांव के इतिहास में पहली बार नाग देवता ग्राम भ्रमण पर निकले हैं करीब पंाच सौ साल में पहली बार ऐसा मौका ग्रामीणों को मिला है देवता के गांव में आने से पूरे गांव को सजाया गया और जोरदार स्वागत किया गया इसको लेकर गांव में रात भर जागरण चलेगा और भंडारे का भी आयोजन किया जाएगा। उन्होने बताया कि मसूरी और आसपास के क्षेत्रों से हजारों भक्त मसूरी के नाग देवता मंदिर पहुंचे और नाग मंदिर में स्थापित 500 साल पुरानी मूर्ति पर दूध (अभिषेक) चढ़ाकर नाग देवता के दर्शन किए। राकेश रावत के लिए नाग देवता कुलदेवता हैं। उन्होंने कहा कि इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से मन्नत मांगता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है। यह देवता क्षेत्र और उसके आसपास के दर्जनों गांवों में रहने वाले कई परिवारों के कुल देवता हैं। उन्हें न्याय के देवता के रूप में भी जाना जाता है। जब भी गांव में कोई समस्या या विवाद होता है, तो लोग देवता का आशीर्वाद लेते हैं ऐसा माना जाता है कि नाग देवता न्याय करते हैं।

मंदिर के पीछे की कहानी
मसूरी का नाग मंदिर करीब 500 साल पुराना बताया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भट्टे गांव की एक गाय अक्सर सुबह इस स्थान पर (जहां वर्तमान में नाग देवता मंदिर स्थित है) आती थी और अपने थन से एक पत्थर पर दूध चढ़ाती थी। जब गांव वालों को इस घटना के बारे में पता चला तो वे हैरान रह गए। जब ग्रामीणों ने पत्थर हटाया तो उन्हें कई नाग मूर्तियां मिलीं। उन्होंने यह भी देखा कि मूर्तियों के ऊपर नाग देवता विराजमान थे। तभी से यह स्थान सिद्ध पीठ के नाम से जाना जाने लगा। वहां एक विशाल एवं भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया। नाग पंचमी पर, मसूरी, आसपास के शहरों और गांवों से कई लोग नाग देवता के दर्शन करते हैं और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।