मसूरी में वाल्मीकि समाज ने गोगा नवमी का पर्व बड़े हर्ष उल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान शहर के वाल्मीकि समाज के लोगो ने गोगा देव महाराज के निशान छड़ी जुलूस गाजे बाजे और ढोल के साथ निकाला। यह सभी मसूरी बार्लोगंज से मसूरी के लंढौर के सर्वे चौक पहुचे और छड़ी निशान का खडा किया गया और विशेष पूजा अर्चना कर सभी समाज के लोगो ने आर्षिवाद लिया। इस मौके पर कृश्णा गोदियाल, पिं्रस पवार, अनिल कुमार ओर अमन ने कहा कि गोगा पंचमी के बाद गोगा नवमी का महत्व है क्योंकि भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की नवमी के दिन गोगादेव जी का जन्म हुआ था। गोगादेव को राजस्थान में लोक देव माना जाता है और उन्हें जाहरवीर भी कहा जाता है। लोकमान्यता व लोक कथाओं के अनुसार गोगा जी को सांपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। इसलिए इस दिन नाग देवता की भी पूजा होती है। आज भी सर्पदंश से मुक्ति के लिए गोगाजी की पूजा की जाती है। गोगाजी के प्रतीक के रूप में पत्थर या लकड़ी पर सर्प मूर्ति उत्कीर्ण की जाती है। मान्यता है कि गोगा देव की पूजा करने से सांपों से रक्षा होती है। गोगा नवमी पर लोग लंबी बांस पर बहुत सारी मोर के पंख बांधकर उसे निशान के रूप में छड़ी यात्रा निकालते है।
उन्होने बताया कि विशेष छडी निषान के लिये लंबी बांस पर मोर पंख, रंगीन वस्त्र,गोटा आदि से सजाकर गोगा पीर की छड़ी बनाते हैं। वही हर साल मसूरी के बर्लोगंज से ढोल बाजों के साथ छडी यात्रा को धूमधाम से निकालते है जो मसूरी बाला हिंसार, बडा मोड, विक्चर पैलेस होते हुए लंढौर बाजार होते हुए सर्वे चौक पहुचे जहा पर गोगा पीर की जय के नारे के साथ छंडी निषान को खडा किया गया। इस मौके पर सभी समाज के लोगो ने एक दूसरे को छड़ी निषान की मुबारक दी। इस मौके पर मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएषन अध्यक्ष रजत अग्रवाल, महामंत्री जगजीत कुकरेजा, नगेन्द्र उनियान, अतुल अग्रवाल सहित कई सदस्यों द्वारा छडी निषान का स्वागत कर आर्षिवाद लिया गया