कांडीखाल में तीन दिवसीय शिविर के दूसरे दिन लोकतंत्र, संविधान, सामाजिक न्याय, महिला सशक्तिकरण पर मंथन हुआ. भारतीय लोकतंत्र और संविधान विषय पर बोलते हुए मध्यप्रदेश से आए पूर्व विधायक व समाजवादी चिंतक डा सुनीलम ने कहा कि भारत लोकतांत्रिक मूल्यों को मानने वाला देश है. लेकिन आज लोकतंत्र और संविधान को कमजोर करने का प्रयास हो रहा है. समानता, सामाजिक न्याय का सपना तभी शाकार होगा जब संविधान बचा रहेगा. कहा कि युवाओं को आगे आकर लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करनी होगी. कहा कि लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए जनता को जागरूक करना होगा.

सामाजिक लोकतंत्र को बढ़ावा देने में युवाओं की भूमिका विषय पर बोलते हुए जर्मनी से आए सामाजिक कार्यकर्ता रिचर्ड ने कहा कि भारत युवाओं का देश है, दुनिया में ऐसा कम है. कहा कि विविधताओं के इस देश की विविधता ही इसकी खूबसूरती है. नई पीढ़ी को इसे समझना होगा. थोड़ी देर चलने पर भारत के लोगों की भाषा, वेषभूषा, खानपान बदल जाता है.यहा के युवाओं के लिए यह वरदान है. रिचर्ड ने कहा कि युवाओं के स्वतंत्र पोलिसी बननी चाहिए. जिसमें राजनीति न हो. कहा कि युवाओं को अपनी बातें मनवाने के लिए एकजुट रहना होगा, राजनीति में दखल बढ़ानी होगी. कहा कि राजनीति खुद के लिए, बल्कि लोगों के लिए होनी करनी चाहिए और विरोधी विचारधारा के राजनीतिक प्रतिनिधियों के साथ भी सकारात्मक संवाद रखना चाहिए. राजनीति में मतभेद ठीक है, किंतु मनभेद नहीं होने चाहिए.

महिला सामख्या उत्तराखण्ड की पूर्व निदेशक गीता गैरोला ने कहा कि लोकतंत्र को लोग बनाते हैं, जैसे लोग होंगे वैसा ही तंत्र बनेगा . इसलिए हमें खुद बदलना होगा. सामाजिक कार्यकर्ता दीपा कौशलम ने महिला सशक्तिकरण पर व्याख्यान दिया. संचालन शिविर संयोजक जबर सिंह ने किया. शिविर में 4 राज्यों उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली के 12 जिलों के 100 शिविरार्थि हिस्सा ले रहे है. मौके पर राजेश, विकास, खस्टी सुयाल आदि मौजूद रहे.