रिपोर्टर सुनील सोनकर
पहाड़ों की रानी मसूरी में धनतेरस पर बाजारों में धूम रही। कोरोना के बाद लोगों के लिए यह पहला मौका है। जब वह बिना किसी के पाबंदी के बाजारों में खरीदारी हुई। रोशनी से सजे बाजार और रंग-बिरंगी कंदील, फूलों वाली झालर और सुंदर मिट्टी की लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां के अलावा बर्तन और चांदी सोने के गहनों और बर्तनों से सजा धनतेरस का बाजार सभी को अपनी ओर आकर्षित किया।दुकानों के साथ लंढौर बाजार और बाजार का प्रवेश द्वार भी लाल पीली नीली और गुलाबी लाइटों से चमक रहा है। हर दुकान पर खरीदारों की भीड़ उमड़ रही है। कोरोना महामारी के बाद यह नजारा पहली बार देखने को मिल रहा है। जिसे देखकर हर कोई उत्साहित है। हिंदू पंचांग के अनुसार धनतेरस का त्योहार कार्तिक मास के त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन देवताओं के वैद्य धन्वंतरी की जयंती मनाई जाती है। धनतेरस के दिन सोना, चांदी और अन्य वस्तुओं की खरीदारी करना शुभता का प्रतीक है। इसलिए धनतेरस पर्व खूब खरीदारी की जाती है। ऐसे में पांच दिवसीय त्योहार धनतेरस, छोटी दीपावली, दीपावली, गोवर्धन और भाई दूज के लिए बाजार सजकर तैयार है।
पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी का प्रारंभ शनिवार शाम 6ः02 बजे से हो रहा है। जो रविवार शाम 6ः03 बजे तक रहेगा। इसके साथ ही इस बार धनतेरस पर त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है। मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य और खरीदारी शुभ होती है। त्रिपुष्कर योग दोपहर 1ः50 बजे से शाम 6ः02 बजे तक रहेगा। सूरजकुंड स्थित बाबा मनोहर नाथ मंदिर की महामंडलेश्वर नीलिमानंद महाराज का कहना है कि शनिवार को धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7ः01 बजे से रात 8ः17 बजे तक है। पीली धातु की कीमतों में तेजी के बावजूद जौहरी की दुकानों पर सुबह से ही भारी भीड़ देखी जा रही थी। मिठाई की दुकानें ग्राहकों को विशेष रूप से बनाए गए मिठाई को बेचने में पूरे दिन व्यस्त रहीं। हालांकि कई दुकानदार पटाखा बेचते समय प्रशासन द्वारा लगाए गए दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ाते दिखे। पुलिस अधिकारियों का मानना था कि पटाखा बेचने के लाइसेंस एसडीएम कार्यालय द्वारा दिए जा रहे हैं और वे व्यक्तिगत शिकायत मिलने पर ही कार्रवाई ीि जायेगी। बर्तन के दुकानदार अमित गोयल ने कहा कि गढ़वाल के पारंपरिक बर्तनों की इस साल काफी मांग है क्योंकि विदेशों से पर्यटक गढ़वाल के बर्तन खरीदने में बहुत रुचि देखी जा रही है।