

हिंदी साहित्य को अनमोल कविताओं का समृद्ध खजाना देने वाले कवि चंद्रकुंवर बतर््वाल की 76वीं पुण्यतिथि पर मसूरी गर्ल्स इंटर कालेज में कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस दौरान छात्रोें ने उनकी लिखी कविताओं को पढ़कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। साथ ही उनके जीवनी पर प्रकाष डाला वही दूसरी ओर मसूरी मोलरोड पर स्थापित कवि चंद्रकुंवर बतर््वाल की मुर्ति पर लोगो ने पुश्पाजलि अर्पित कर श्रद्वाजलि दी। मसूरी गर्ल्स इंटर कालेज की प्रधानाचार्य अनिता डबराल ने कहा कि चंद्र कुंवर बर्त्वाल ने हिमालय का वर्णन, बांज, बुरांश, देवदार की सुंदरता के अलावा राष्ट्रीय आंदोलन, स्वतंत्रता आंदोलन, उपनिवेशवाद साम्यवाद, पूंजीवाद के खिलाफ कविताएं लिखीं। उन्होंने कहा कि उनकी तुलना जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, निराला, रविंद्र नाथ टैगोर कवियों और अंग्रेजी में शैली और कीटस से की जाती है।


उन्होंने कहा कि उनकी कविताएं हिमालय का दर्शन है उनकी कविताओं में हिमालय का विराट सौंदर्य व स्वरूप झलकता है। उन्होंने हिमालय के फ्लोरा और फोना, यहां के झरने प्राकृतिक सौंदर्य, पर कविताएं लिखी हैं। उन्होंने हिमालय को करीब से देखा व उसी पर लिखा व मात्र 28 वर्ष की उम्र में सात से आठ सौ कविताएं लिखी। वह मसूरी व देहरादून मे रहे उस पर भी कविताएं लिखी। उन्होंने हिमालय के अलावा जहां भी रहे वहां के उपर कविताएं लिखी वहीं उन्होंने सम सामयिक विषयों पर भी कविताएं लिखी। इस मौके पर पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसेला ने कहा कि चंद्र कुवर बर्त्वाल उत्तराखंड के महान कवि रहे हैं जिन्होंने अल्पायु में साहित्य का इतना बड़ा कार्य किया जिसे आज कल्पना माना जाय तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।