गुरुवार की देर शाम को मसूरी विंटर लाइन कार्निवाल के तहत कवि सम्मेलन में अफजल मंगलोरी, जयपुर से मनोज कुमार, शिमला से मीरा नवेली, फिरोजपुर से अंबिका सिंह सोनी, यूपी से डॉक्टर वसीम राजू पुरी, उत्तराखंड से डॉक्टर नीता कुकरेती, हास्य कवि हुक्का बिजनौरी, चांद फटाफट ने अपनी रचनाएं का प्रदर्शन अविस्मरणीय रहा। कवि सम्मेलन में अपनी कविताओं और चुटकलों से कार्निवाल में शांत बैठे लोगो के अंदर ऊर्जा भर दी। परंतु श्रोताओं की भीड़ ना होने के कारण कवियों में मायूसी दिखी। उत्तराखंड भाषा संस्थान उर्दू एकेडमी के पूर्व उपाध्यक्ष अफजल मंगलोरी ने कहा कि मसूरी में कवि सम्मेलन में श्रोताओं की कमियों को देख कर कवि मायूस दिखे और इसी को लेकर उन्होंने डीजीपी उत्तराखंड को कार्यक्रम मैं ना आने का आग्रह किया ।


उन्होंने कहा कि चाहते हैं कि मसूरी में कवियों को महाकुंभ आयोजित किया जाये। उन्होंने कहा कि कवि सम्मेलन में कम संख्या में मौजूद श्रोताओं को देखकर ऐसा लगा कि साहित्य शायरी अदब के प्रति उनका लगाव है जो एक अच्छा संकेत है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिपेक्ष में कवियों को और शहरों को सरकार द्वारा संसाधन नहीं मिल पाते हैं पश्चात संगीत या संगीत का कार्यक्रम हो उनके पास विभिन्न प्रचार के माध्यम है ।सरकार को कवियों कला संस्कृति और साहित्य देश की आत्मा है और इसे संरक्षित किया जाना सरकार की जिम्मेदारी है। वहीं अगर कवि सम्मेलनों को जिंदा रखना है तो इसका प्रचार प्रसार किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि वह मायूस नहीं है पर हमारे देश के लोग त्रिकाल से साहित्य की साधना करते हैं और भविष्य में और संभावनाएं बढ़ेंगी। वह उम्मीद करते हैं युवा और नए लोग कविता और शायरी में आ रहे हैं जो साहित्य के लिए अच्छा संकेत है।