
मसूरी के लक्ष्मी नारायण मंदिर में सिंघल परिवार के द्वारा श्रीमद् भागवत महापुराण कथा का आयोजन चल रहा है शुक्रवार को कथा व्यास नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज द्वारा भक्तों को भक्ति, ज्ञान, वैराग्य की कथा सुनाई गई। उन्होंने कहा श्रीमद् भागवत साक्षात भगवान का स्वरूप है। श्रीमद् भागवत साक्षात मोक्ष का साधन है। जब भगवान अपनी लीलाओं को करके गोकुलधाम को वापस जा रहे थे तो ऋषि मुनि महात्माओं ने भगवान से प्रार्थना की परमात्मा आप अपने धाम को जा रहे हैं और इधर कलयुग प्रारंभ हो रहा है। इसलिए ही परमात्मा कलयुग के प्राणियों के लिए के लिए मोक्ष का साधन आवश्यक रूप से निश्चित करके जाएं, तब परमात्मा श्री कृष्ण श्रीमद् भागवत महापुराण में समाहित हो गए।उन्होंने कहा यह पुराण कोई साधारण नहीं है, बल्कि साक्षात भगवान का स्वरूप है।मुक्ति चाहने वाले व्यक्ति को निश्चित ही श्रीमद् भागवत की कथा का श्रवण करना चाहिए एवं दूसरों को इस कथा को सुनने के लिए प्रेरित करना चाहिए और किसी भी परिस्थिति में हमें अपने धर्म मार्ग से नहीं हटना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर आप धर्म मार्ग पर हैं तो परमात्मा निश्चित ही आप पर कृपा करेंगे और आपका कल्याण होगा। इस दौरान आत्मदेव ब्राह्मण की कथा सुनाई। जिसमें पुत्र गोकर्ण एवं धुंधकारी का चरित्र सुनाते हुए बताया कि भागवत पुराण के आयोजन से प्रेत योनि को प्राप्त हुए धुंधकारी का उद्धार हुआ। कथा में भगवान के चौबीस अवतारों का वर्णन किया गया जिसे सुनकर श्रोता भक्ति भाव से भर गए। डा.नीरज सिंघल ने बताया कि पितृ मोक्ष के लिये कलश यात्रा के साथ श्रीमद्भागवत पुराण 10 जुलाई से शुरू हुईी। आयोजन सिंधल परिवार द्वारा अपने माता पिता की याद में श्रीमद् भागवत महापुराण कथा का आयोजन किया जो प्रतिदिन 3 बजे से सायं 6 बजे तक कथावाचक नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज द्वारा कथा सुनाई जा रही। जो 17 जुलाई तक तक चलेगी।