मसूरी में भवन निर्माण मजदूर संघ मसूरी द्वारा मकर संक्रांति के पावन पर्व पर शहीद भगत सिंह चौक पर खिचड़ी वितरण का कार्यक्रम किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मसूरी भाजपा मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल द्वारा कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। मसूरी अग्रवाल युवा प्रकोष्ठ के द्वारा श्री सनातन धर्म मंदिर में विशेष पूजा अर्चना कर खिचडी वितरित की गई। वही मसूरी के आरएसएस द्वारा मसूरी के महात्मा योगेश्वर सरस्वती शिशु मंदिर के सभागार में खिचडी वितरित की गई। इस मौके पर सभी धर्म के लोगों ने खिचड़ी ग्रहण कर मकर संक्रांति का पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया। मसूरी भाजपा मंडल अध्यक्ष मोहन पटवाल न कहा कि सभी धर्मों के लोग एक दूसरे का त्यौहार बड़ी धूमधाम के साथ बनाते हैं और भाईचारे का संदेश देने का काम करते है।
आचार्य उमेश नौटियाल ने बताया कि खिचड़ी का अपना महत्व है मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने के अपना महत्व है। इसलिए कहीं-कहीं मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति का यह पर्व प्रत्यक्ष रूप से भगवान सूर्य से जुड़ा है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं।
इस दिन सूर्य धनु राशि से पारिवर्तन कर मकर राशि में आते हैं। यही कारण है कि मकर संक्रांति को सूर्य संक्रांति भी कहा जाता है। उन्होने बताया कि मकर संक्राति को कई जगहों पर खिचड़ी के नाम से जाना जाता है और खिचड़ी के रूप में मनाया जाता है। मकर संक्रांति के पर्व को भारत के अन्य हिस्सों में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है।केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में इसे संक्रांति कहा जाता है। तमिलनाडु में इस पर्व को पोंगल पर्व के रूप में मनाया जाता है। पंजाब और हरियाणा में इस पर्व लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है। साथ ही असम में इस पर्व को बिहू के रूप में पूरे हर्षाेल्लास के साथ मनाया जाता है।
बिहार, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल में मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने की प्रथा बहुत पहले से चली आ रही है। आज भी मकर संक्रांति के दिन इन राज्यों में खिचड़ी पकाने और खाने की अनूठी परंपरा है। मकर संक्रांति को खिचड़ी के रूप में मनाये जाने के पीछे बहुत ही पौराणिक और शास्त्रीय मान्यताएं हैं। मकर संक्रांति के इस पर्व पर खिचड़ी का काफी महत्व है। मकर संक्रांति के अवसर पर कई स्थानों पर खिचड़ी को मुख्य पकवान के तौर पर बनाया जाता है।खिचड़ी को आयुर्वेद में सुंदर और सुपाच्य भोजन की संज्ञा दी गई है। साथ ही खिचड़ी को स्वास्थ्य के लिए औषधि माना गया है। प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के अनुसार जब जल नेती की क्रिया की जाती है तो उसके पश्चात् केवल खिचड़ी खाने की सलाह दी जाती है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने का बहुत ही महत्व माना गया है। ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति पर चावल, दाल, हल्दी, नमक और सब्जियों को मिलाकर खिचड़ी बनाई जाती है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी के सहायक व्यंजन के रूप में दही, पापड़, घी और अचार का मिश्रण भी किया जाता है। आयुर्वेद में चावल को चंद्रमा के रूप में माना जाता है। शास्त्रों में चावल को चंद्रमा का प्रतीक माना गया है। काली उड़द की दाल को शनि का प्रतीक माना गया है। हल्दी बृहस्पति का प्रतीक है। नमक को शुक्र का प्रतीक माना गया है। हरी सब्जियां बुध से संबंध रखती हैं। खिचड़ी की गर्मी व्यक्ति को मंगल और सूर्य से जोड़ती है। इस प्रकार खिचड़ी खाने से सभी प्रमुख ग्रह मजबूत हो जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन नए अन्न की खिचड़ी खाने से शरीर पूरा साल आरोग्य रहता है। इस मौके पर सभासद अरविंद सेमवाल, भवन निर्माण मजदूर संघ अध्यक्ष राकेश ठाकुर, महामंत्री सुधीर डोभाल, मंगेश्वर धिमन, शरीफ अहमद, चांद खान, हसीन अहमद, फहीम अहमद, देवी गोदियाल, सतीश ढौंडियाल सुधांशु ,असलम खान, आरपी बडोनी, अमित सिंधल, वेभव तायल, संदीप अग्रवाल, अनुज तायल, रजत अग्रवाल, अरुण शर्मा, राकेश रावत देवेंद्र उनियाल शानू वर्मा,अमित भटट, मनीष कुकषाल, मनोज रेगंवाल, आषीश जोषी सहित कई लोग मौजूद थे।