रिपोर्टर सुनील सोनकर 20.11.2022
मसूरी। अगलाड़ यमुना घाटी विकास मंच मसूरी द्वारा बूढ़ी दीपावली मंगसीर बग्वाली का पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया। मसूरी में पारम्परिकं वादय यंत्रों के साथ नाग देवता की पूजा अर्चना कर बग्वाल त्योहार मनाया गया । बूढ़ी दीपावली, बग्वाली या पुरानी दीपावली के नाम से मनाए जाने वाला जनजातीय पर्व धूमधाम के साथ शुरू हो गया। दीपावली से ठीक 30 दिनों के बाद प्रदेश के जौनपुर, रवाईं और जौनसार बावर क्षेत्र में मनाए जाने वाली पहाडों की मुख्य बूढ़ी दीपावली का अगाज हो गया है। देर शाम को कई गावों में बग्वाल (भांड) का आयोजन किया गया जिसको देवताओं और असुरों के बीच हुए समुद्र मंथन के रूप में दर्शाया गया। इसमें बाबई घास से बनी विशाल रस्सी का प्रयोग किया जाता है। इसकी खासियत यह है कि रस्सी बनाने के लिए बाबई घास को इसी दिन काटकर बनाया जाता है। मान्यता के अनुसार , रस्सी बनाने के बाद स्नान करवाकर विधिवत पूजा अर्चना की जाती है।
ग्रामीणों ने बताया की बग्वाल भांड जौनपुर क्षेत्र का मशहूर त्योहार है जिसे ग्रामीण और आसपास के क्षेत्र के लोग बड़ी घुमघाम के साथ मनाते है वही इसी दिन गांव में विशेष व्यंजन तैयार किये जाते है वह एक दूसरे को परोसे जाते है उन्होंने बताया कि भगवान रामचद्र जी के बनवास से आयोध्या लौटने के बाद उत्तराखण्ड के पहाडी क्षेत्र में करीब एक माह के बाद पता चला था जो ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड गई जिसके स्वरूप ग्रामीण इस दिवस को बग्वाल के रूप में मनाते हुए अपनी पारंपरिक वेशभूषा में नाचते गाते नजर आये।
अगलाड़ यमुना घाटी विकास मंच के अध्यक्ष शूरवीर सिंह रावत, मंच के कोषाध्यक्ष सूरत सिंह रावत ने सभी क्षेत्रवासियों को बग्वाल कि शुभकामनाये देते हुए कहा की पर्वतिय इलाकों के पहाड सरीखे जीवन में जब तीज-त्योहारों के क्षण आते है तो खेत-खलिहान भी थिरक उठतें है। बग्वाल यानी दिपावली भी इसी का हिस्सा है गाव में रात्री में सभी लोग किसी खेत खलिहान पर जमा होने के साथ ही भैलो जो चीड़ की लकडिकांे से बनी मशाल को घूमाते हुए नृत्य करते है। उन्होने कहा की त्योहारों के पारंपरिक स्वरूप को बचाये रखने की दिशा में क्षेत्र में बग्वाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिससे स्थानीय लोगो के साथ र्प्यटकों को अपनी संस्कृतिक के रूबरू करवाया जा सके और र्प्यटन को बढावा मिल सके। वही उन्होने बताया कि सभी लोग हशोउल्लास से बग्वाल त्यौहार को बना रहे है।उन्होने कहा कि संस्कृति को जीवित रखने और प्रवासी लोगों को अपनी संस्कृति के प्रति जागरूक करने के लिए मसूरी क्षेत्र में इसका आयोजन किया गया है और यहां पर प्रवासी लोगों के साथ ही ग्रामीणों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है उन्होंने बताया कि ऐसे आयोजनों से प्रवासी लोगों को जोड़ना ही मंच का उद्देश्य है।
स्थानीय महिला सीमा, सुनीता नेगी ने बताया कि पहाड़ी दिवाली का पहाड़ों में विशेष महत्व है और आज मसूरी में कार्यक्रम आयोजित किया गया है जिसमें प्रवासी पहाड़ियों के साथ ही स्थानीय लोगों ने भी भाग लिया है और अपनी संस्कृति से रूबरू हुए ।