मसूरी। प्राकृतिक सरोकारों से जुड़ा पहाड़ का प्रमुख पर्व हरेला रविवार से शुरू हो गया है। विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक संस्थाएं हरेला पर्व मनाकर खुद को प्रकृति से जोड़ने का प्रयास किया। इस बहाने पहाड़ के पर्यावरण व संस्कृति के प्रति चिंतन भी हो रहा है।सामाजिक, सांस्कृतिक संगठन धाद रविवार से कार्यक्रमों की शुरुआत हो गई है, जो 17 अगस्त घी संक्रांति तक चलेंगे। इस दौरान प्रकृति, लोक संस्कृति, लोक भाषा, लोक विधा, लोक गीत, थिएटर जैसे विषयों पर कार्यक्रम आयोजित होना शुरू हो गए है राजनीतिक दलों के साथ ही सामाजिक संस्थाओं, स्कूल और कॉलेजों में हरेला पर्व पर पौधारोपण हुआ। साथ ही लोगों ने मसूरी को हरा भरा बनाने का संकल्प लिया।
उत्तराखंड में बूथ नंबर 160 में महिला मोर्चा अध्यक्ष भाजपा पुष्पा पडियार ने राजकीय प्राथमिक विद्यालय लंढौर कैंट में छात्र, छात्राओं के साथ मिलकर फलदार पौधे लगाए, साथ ही बच्चो को उत्तराखंड की लोक संस्कृति, प्रकृति, पर्यावरण के सरक्षण के बारे जानकारी दी इस मौके पर प्रधानाध्यापक उदित शाह, अध्यापक परविंद रावत, भोजन माता छात्र छात्रांए उपस्थित थे। वही मसूरी एमपीजी कालेज के पूर्व छात्रसंध अध्यक्ष आशीष जोशी के नेतृत्व में कालेज परिसर में पौधे रोपे गए। मसूरी में हरेला की धूम देखी गई मसूरी में विभिन्न सामाजिक संस्थाओं ने अपने-अपने क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के विभिन्न प्रजाति के पौधे को पढ़कर हरेला पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया इस मौके पर मसूरी क्यारकूली भट्टा ग्राम में भारत विकास परिषद, करणी सेना और कल्याण ग्राम सभा समिति के द्वारा संयुक्त रूप से हरेला का पर्व मनाया गया इस मौके पर क्याकूली ग्राम में सैकड़ों की तादाद पर विभिन्न प्रजाति विभिन्न फलदार प्रजाति के पौधे रोपण किए गए वहीं पर्यावरण संरक्षण की शपथ ली गई ।इस मौके पर भाजपा मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल ने कहा कि हरेला पर्व हमारे प्रदेश का गौरव है और इस दिन सभी लोग वृक्षारोपण कर पर्यावरण को संरक्षण करने के लिए एवं योगदान देते हैं । उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि जिस पौधे को वह लगा रहे हैं उसके पालन-पोषण का पूरा ध्यान रखें जिससे कि वह पर्यावरण संरक्षण में अपनी अहम भूमिका निभा सके। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी राज्य सरकार द्वारा हरेला पर्व को लेकर कई योजनाओं के तहत काम किया गया जिससे प्रदेश को हरा भरा कर पर्यावरण को संरक्षण किया जा सके। बता दे श्रावण माह में मनाये जाने वाला हरेला उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में सामाजिक रूप से अपना विशेष महत्व रखता है और कुमाऊं का यह अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है जिस वजह से इस क्षेत्र में यह त्यौहार अत्यंत धूमधाम के साथ मनाया जाता है श्रावण मास भगवान शंकर का अत्यंत प्रिय मास है, इसलिए हरेले के इस पर्व को कुमाऊं के कुछ क्षेत्रों मे हर-काली के नाम से भी जाना जाता है।हरेले को काटकर घर के बुजुर्ग परिवार के सभी सदस्यों को टीका लगाते हैं और हरेला आशीर्वाद स्वरूप उनके सिर और कान में रखते हैं और उनकी सुख समृद्धि दीर्घायु और स्वस्थ रहने की कामना के साथ आशीर्वाद देते हैं ।