मसूरी में गुरु गोविंद सिंह का 358वां प्रकाशपर्व बुधवार को आस्था और उल्लास के साथ मनाया गया। गुरुद्वारों में हुए सबद कीर्तन और पाठ से संगत निहाल हुई। दिनभर गुरुद्वारों में मत्था टेकने वालों की भीड़ लगी रही। इस अवसर पर आयोजित भंडारे में संगत ने प्रसाद चखा। मसूरी लंढौर के लाइब्रेरी के गुरुद्वारे में सुबह गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ हुआ साथ ही सबद कीर्तन से संगत दिनभर निहाल होती रही। पूर्व सभासद जसबीर कौर और सचिन सिंह ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह ने अन्याय और जुल्म के खिलाफ लड़ने के लिए 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी।
सिखों का देश और समाज में उल्लेखनीय योगदान है। उन्होंने कहा कि गुरु गोविंद सिंह महाराज का जीवन हमें त्याग, राष्ट्रभक्ति और सद्भावना की प्रेरणा देता है।गुरु गोविंद सिंह जी एक महान योद्धा, कवि और दार्शनिक थे। 1675 में नौ साल की उम्र में उनके पिता गुरु तेग बहादुर का सम्राट औरंगजेब द्वारा सर कलम कर दिए जाने के बाद उन्हें। औपचारिक रूप से सिखों के दसवें गुरु के रूप में स्थापित किया गया था। उनके पिता नौवें सिख गुरु थे। मुगलों से हिंदुओं की रक्षा के लिए गुरु गोविंद सिंह जी ने 1699 में खालसा की पंथ स्थापना की। उन्होंने ही खालसा पंथ का उद्घोष वाक्य बोले सो निहाल दिया था। वे खालसा पंथ के प्रमुख रहे, जो उनकी मुगलों से लड़ने के लिए समर्पित योद्धाओं की एक फौज थी इस मौके पर कमलजीत सिंह, रविन्द्र सिंह, जसबीर कौर, गुरूचरण सिंह, सुरेष सिंह आदि मौजूद थे।