मसूरी क्षेत्र के लंढौर बाजार के एक भाग पर हो रहे भू धसाव के कारणों का पता लगाये जाने को लेकर देहरादून और रुड़की की 8 सदस्य वैज्ञानिकों की देहरादून टीम मसूरी पहुंची और उनके द्वारा लंढौर क्षेत्र के नॉर्थ और साउथ रोड के क्षेत्र का निरीक्षण किया गया वह भू धसाव के कारणों को पता लगाये जाने को लेकर निरीक्षण किया गया। इस मौके पर एसडीएम मसूरी शैलेंद्र सिंह नेगी द्वारा सभी आए वैज्ञानिकों का स्वागत कर मसूरी के लंढौर क्षेत्र के एक भाग में हो रहे भू धसाव के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। पत्रकारों से वार्ता करते हुए एसडीएम मसूरी शैलेन्द्र सिंह नेगी ने कहा कि मसूरी लंढौर क्षेत्र में हो रहे भू धसाव को लेकर प्रदेश सरकार चिंतित है वह सरकार के निर्देशों के बाद देहरादून और रुड़की के विभिन्न वैज्ञानिकों की टीम बनाकर मसूरी भेजा गया है जिससे भू धसाव के कारणों को पता लगाया जा सके। वह भूधसाव को रोकने के लिय कार्ययोजना तैयार कर सरकार को देनी है। डा.षारदा प्रसाद प्रधान असिस्टेंट प्रोफेसर आईआईटी रूड़की ने कहा मसूरी के कुछ क्षेत्रों में हो रहे भूधसाव के कारणों को जानने के लिये टीम द्वारा विभिन्न विभा्र के अधिकारियों के साथ स्थालीय निरीक्षण किया गया। भू धसाव के कारणों का अध्ययन किया जा रहा है । निरीक्षण के दौरान लंढौर बाजार के नॉर्थ और साउथ रोड, टिहरी बाइपास रोड का भी निरीक्षण किया गया वह पूर्व में लंढौर बाजार क्षेत्र के पिछले कुछ सालों से हो रहे भूस्खलन क्षेत्र का निरीक्षण किया गया।


पत्रकारों से वार्ता करते हुए डॉक्टर पीयूष रौतेला अधिशासी निदेशक यूएसडीएमए देहरादून ने बताया कि मसूरी लंढोर बाजार का एक भाग भू धसाव हा रहा है जो स्थलीय निरीक्षण कर भू धसाव के कारणों का पता लगा रहे हैं जल्द रिपोर्ट तैयार करके शासन को भेजा जाएगा जिससे कि लंढौर क्षेत्र में हो रहे भू धसाव का ट्रीटमेंट किया जा सके। उन्होंने बताया कि लंढौर क्षेत्र में कई भवनो और इमारत की उम्र पूरी हो चुकी है और इसको लेकर मसूरी नगर पालिका द्वारा कई भवनों और इमारतों को गिरासू घोषित कर दिए गए हैं । उन्होंने कहा कि टीम के द्वारा सभी चीजों का आकलन किया जा रहा है वही पिछले 2 या 3 सालों में लंढौर क्षेत्र के निचले हिस्से पर हुए भूस्खलन की भी जानकारी ली जा रही है और यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि क्या यह सिंकिंग जोन क्षेत्र तो नहीं बन गया है।

उन्होंने कहा कि मसूरी में निर्माण को बंद नहीं किया जा सकता है क्योंकि यहां पर कई ऐसे पुराने निर्माण हैं जिनकी समय-समय पर मरम्मत की जाने की आवश्यकता है। परंतु मसूरी के कुछ भाग में नए निर्माण पर पाबंदियां लग सकती है। इस मौके पर डाॉ पीयूष रौतेला अधिशासी निदेशक यूएसडीएमए देहरादून, डा0 शारदा प्रसाद प्रधान असिस्टेंट प्रोफेसर आईआईटी रुड़की, डाॉ स्वप्नमिता चैधरी वैज्ञानिक वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, डाॉ किशोर कुलकर्णी वैज्ञानिक सीबीआरआई रुड़की, डा0 हरि शंकर वैज्ञानिक आईआईआरएस देहरादून, आशीष प्रकाश सहायक भूवैज्ञानिक जीएसआई देहरादून, वेंकटेश्वरलू जीओटेक एक्सपर्ट, सुशील खंडूरी भूवैज्ञानिक यूएसडीएमए देहरादून, मसूरी नगर पालिका परिषद, जल निगम और गढ़वाल जल संस्थान के अधिकारी ,मौके पर मौजूद थे ।