मसूरी में बाबा बुल्ले शाह का सालाना उर्स धूमधाम से मनाया गया जहां सभी धर्मों के भक्तों ने बाबा की मजार पर चादर चढाई और बाबा का आर्शीवाद लिया। सर्वधर्म सद्भाव की मिसाल बाबा बुल्ले शाह के उर्स पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का दर्शनों के लिए तांता लग गया था। इस मौके पर कव्वाली का भी आयोजन किया गया उन्होंने बाबा बुल्ले शाह पर आधारित गीत गाकर माहौल का भक्तिमय कर दिया। इस मोके पर कमेटी की ओर से चादर चढ़ाई गई व उसके बाद श्रद्धालुओं ने चादरें व प्रसाद चढ़ाया। दिन भर यह क्रम जारी रहा।बाबा बुल्लेषाह मजार समिति के सदस्यों ने बताया कि इस मजार की खासियत यह है कि यहां हर मजहब के श्रद्धालु आते है हिंदु, मुस्लिम, ईसाई सिख सभी धार्मिक एकता का परिचय देकर मन्नते मांगते हैं व लोगों की मन्नतें पूरी होती हैं।
मसूरी व्यापर मंडल अध्ध्यक्ष रजत अग्रवाल ने बाबा के मजार और उनके इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 45 साल पहले बाबा बुल्ले शाह ने मसूरी में निवास कर रहे एक व्यक्ति को सपने में दर्शन दिए और उसके बाद इस स्थान पर बाबा की मजार को स्थापित किया गया जिसके बाद यहां पर बाबा के भक्तों का तांता लगातार बढ़ता चला गया और आज मसूरी से ही नहीं पूरे भारत से बाबा के श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिये आकर आशीर्वाद ग्रहण करते हैमसूरी के निवासियों के माने तो बाबा की मजार में हर वर्ग का श्रद्धालु दर्शन के लिये आता है ।उन्होंने कहा कि बाबा की मजार में सभी वर्गों के लोग आते है आकर एकता का संदेश देते है।