मसूरी में ईस्टर का पर्व रविवार को मसूरी सेंट्रल मैथोडिस्ट चर्च में धूमधाम के साथ मनाया गया। इस दौरान फादर विवेक सिंह ने बताया कि ईस्टर का पर्व प्रभु यीशु के मरने के तीसरे दिन जीवित होने की खुशी में मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि प्रभु यीशु ने मृत्यु पर विजय प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया कि यदि अच्छे कर्म करते हुए उनके बताए मार्ग पर चलें तो हम सबका उद्धार संभव है। इससे पूर्व चर्च में विशेष प्रार्थना के साथ-साथ प्रभु यीशु के गीतों का गुणगान किया गया। इसाई समुदाय के प्रेम सिंह, रश्मि सिंह ने बताया कि बाइबल की मान्यता के अनुसार यीशु मसीह ने यहुदी अत्याचारी राजाओं के द्वारा मृत्यु दंड दिए जाने का एहसास होते भी येरुशलेम में प्रवेश किया। इसपर उसे उसके अनुयायियों ने उनकी चमत्कारी व्यक्तित्व के कारण राजा की तरह खजूर के डालियां एवं कपड़े बिछाकर स्वागत किया। इसके बाद उसे मृत्यु देने के लिए पकड़ लिया गया और सूली पर लटका दिया जाता है। ईसा की मृत्यु हो जाती है। मृत्यु के तीसरे दिन उनका पुनरुत्थान हो जाता है। उन्होने कहा कि पुनरुत्थान का तात्पर्य यह है कि स्वयं को पुनर्निर्माण करना। हमने चालीस दिन तक महा उपवास में रहे। ईसा के पुनरुत्थान के पर्व के साथ हमें अपनी सोच व जीवन शैली में नई ऊर्जा भरने का काम शुरू कर देने चाहिए। इससे हम आगे का जीवन सुखमय तरीके से जी सकते हैं। जीवन में यदि बुरे कार्य या गलत संगति के भंवर में फंसे हैं तो स्वयं को उससे निकालने के लिए ईसा के पुनरुत्थान को याद कर पुनः अच्छे मार्ग पर चलने का सोच विकसित करें। तब ही ईसा मसीह के पुनरुत्थान सार्थक होगा। इसी तरह मसूरी के सभी गिरजाघरों में हर्षोल्लास से ईस्टर पर्व मनाया गया। ईसाई समाज के लोगों ने एक-दूसरे को बधाई दी।
सुनील सोनकर
संपादक