मसूरी पुरुकुल रोपवे परियोजना के तहत 2020 में मसूरी के शिफन कोर्ट से करीब 84 परिवारों को प्रशासन के द्वारा हटाया गया था परंतु आज तक उनको विस्थापित नहीं किया गया। तब से आज तक लगातार बेघर हुए 84 परिवार सरकार से उनको विस्थापित करने की मांग कर रहे हैं। जिसको लेकर मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में की गई शिकायत का संज्ञान लेते हुए शहरी विकास विभाग को आवासहीन परिवारों को 50 गज भूमि देने के लिए कार्रवाई करने की बात की गई है। परन्तु मसूरी शिफन कोर्ट आवासहीन निर्बल मजदूर वर्ग एवं अनुसूचित जाति संघर्ष समिति द्वारा संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टम्टा और सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप भंडारी के नेतृत्व में मसूरी के शहीद स्थल पर सरकार और पालिका प्रषासन के द्वारा उनको विस्थापित किये जाने को लेकर किये जा रही कार्यवाही का विरोध करते हुए मसूरी के षहीद स्थल पर सांकेतिक धरना दिया गया वहीं राज्य सरकार और पालिका प्रशासन पर उनको विस्थापन के नाम पर गुमराह करने के आरोप लगाए गया। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय विधायक और कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा हंस कॉलोनी के नाम ₹5 करोड 32 लाख रूपये से निर्मित होने वाली हंस कालोनी को लेकर मसूरी के आईडिएच बिल्डिंग के पास भूमि पूजन किया गया था परंतु दुर्भाग्यवश ना तो वहां जमीन है और ना ही अभी तक हंस कॉलोनी का कोई नामोनिशान है उन्होंने बताया कि पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता द्वारा ओछी राजनीति कर षिफन कोर्ट के बेधर लोगों को आवास देने का आष्वासन दिया था परन्तु उनके द्वारा षिफन कोर्ट के लोगो के साथ भद्दा मजाक किया गया है जिसका उनको आने वाले समय पर जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर 1 मार्च तक 84 बेघर परिवारों को जमीन या आवास उपलब्ध करा कर उनको विस्थापित ना किए जाने की दिशा में प्रदेषव्यापी व् आंदोलन कर अनिश्चितकालीन हड़ताल और अनशन किया जाएगा जिसकर सम्पूर्ण जिम्मेदारी सरकार ओर प्रर पालिका प्रषासन की होगी।
मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत अग्रवाल सभासद गीता कुमाई और सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि अध्यक्ष अनुज गुप्ता द्वारा षिफन कोर्ट के बेघर लोगों के साथ विस्थापन के नाम पर बहुत बड़ा मजाक किया गया है उन्होंने कहा कि चुनाव के समय पहले पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता ने षिफन कोर्ट के लोगों को कहा था कि वह चौकीदार बनकर उनकी हिफाजत करेंगे परंतु दुर्भाग्यवश चौकीदार ही चोर निकला और उसने षड्यंत्र के तहत सरकार के साथ मिलकर उनके घरों से उजाड़ दिया गया कि दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होने कहा कि रोपवे प्रोजेक्ट निर्माण के नाम पर मसूरी शिफनकोर्ट में कई दशकों से निवास कर रहे गरीब एवं अनुसूचित जाति के मजदूर परिवारों को 2 वर्ष पूर्व गंभीर कोरोना काल में बहुत ही अमानवीय ढ़ंग से हटा दिया गया था और नगर पालिका द्वारा प्रस्ताव पास कर अन्यत्र आवास देने का वादा किया गया था । मगर अब 3 साल होने को हैं लेकिन शिफनकोर्ट पर रोपवे निर्माण का एक पत्थर तक नहीं लगा और नहीं वहॉ पर रोपवे बनने के आसार नज़र आ रहे हैं । और अब जोशीमठ आपदा के बाद तो यह तय है कि कच्चे स्थान पर रोपवे नहीं बन सकता। मांग की गई है कि 24 अगस्त 2020 को शिफनकोर्ट से जिन लोगों को बेघर कर दिया गया, उन्हें पुनः शिफनकोर्ट स्थल पर ही पुर्नवासित कर दिया जाय ।उन्होंने कहा कि वह इस आंदोलन को लगातार आगे बढ़ाएंगे और उनकी कोशिश होगी कि इसी नगर पालिका बोर्ड के कार्यकाल में 84 परिवार को विस्थापित किया जाए और अगर इन बेघर परिवारों का विस्थापन नहीं होता तो यह आंदोलन को लगातार जारी रखेंगे वहीं 1 मार्च से अनिश्चितकालीन के लिए धरना प्रदर्शन और भूख हंडताल करेंगे। इस मौके पर में समिति के अध्यक्ष संजय टम्टा, महासचिव राजेन्द्र सेमवाल, राज्य आन्दोलनकारी प्रदीप भण्डारी, पालिका सभासद गीता कुमाईं, व्यापार संघ अध्यक्ष रजत अग्रवाल, पूर्व सभासद केदार चौहान, बिल्लू वाल्मीक, अनीता सक्सेना, विनोद लाल, रजनी देवी, सरस्वती, लक्ष्मी देवी, सुषमा देवी, दयाल सिंह, सम्पत्ति लाल समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।