भारतीय संस्कृति जितनी पुरानी है उतनी ही प्रचलित भी है। यही कारण है कि यहां सदियों से इस्तेमाल हो रही चीजों ने आज भी अपनी पहचान नहीं खोई है। हमारे देश में गाय के गोबर का इस्तेमाल आज भी किया जाता है, लेकिन ऐसा महज पूजा-पाठ तक ही सीमित रहा हें लेकिन इस बार एक बार फिर गोबर से बने दीयों का ट्रेंड लौट आया है। पर्यावरण के प्रति बढ़ती जागरुकता और महिलाओं को संषक्त बनाये जाने को लेकर मसूरी में भारत विकास परिषद मसूरी द्वारा भिलाडू गांव में गाय के गोबर से दीपक व मूर्ति बनाए जाने को लेकर कार्यशाला आयोजित की गई जिसका शुभारंभ मसूरी वन विभाग की बद्रीघाट नैनबाग रेंजर मेघावी कीर्ति के द्वारा किया गया और महिलाओं को गाय के गोबर से बनने वाली सामग्री के बारे में विस्तृत तानकारी दी गई ।इस मौके पर प्रशिक्षक दीपिका द्वारा कार्यशाला में महिलाओं को गोबर से दिपक, मूर्ति धूपबत्ती आदि बनाए जाने को लेकर प्रशिक्षण दिया गया।
भारत विकास परिषद की मसूरी अध्यक्ष राजश्री रावत ने कहा कि भारत विकास परिषद लगातार महिलाओं को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाए जाने को लेकर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर रहा है जिसको लेकर मसूरी के भिलाडू गांव में महिलाओं को गोबर से बनने वाले विभिन्न प्रकार के चीजों जिसमें प्रमुख रूप से दिए मूर्ति धूपबत्ती, दीये आदि बनाने के बारे में प्रशिक्षण दिया गया है। उन्होंने बताया कि गाय का गोबर काफी शुद्ध होता है और गांव की महिला गाय पालन का काम करती हैं वही गाय के गोबर को अपनी आजीविका से जोड़ सकती है जिसको लेकर प्रशिक्षण दिया गया है और उनको पूरी उम्मीद है कि इससे महिलाओं को लाभ मिलेगा।मसूरी में महिलाओं द्वरा गोबर से बनाये गए दीयों का दिवाली पर इस्तेमाल किया जाएगा। एक ईको-फ्रेंडली दिवाली मनाने के लिए यह पहला कदम होगा। अब लोग अपने घरों में रोशनी के लिए चीनी लाइटों की बजाय गोबर से बने दीयों के इस्तेमाल पर जोर दे रहे हैं। यही वजह है कि इसके लिए लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है।गाय के गोबर से बने इन दीयों को गोबर में घी और इसेन्शियल ऑइल डालकर बनाया जा रहा है। ये दीये पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल हैं। इन दीयों को इस्तेमाल के बाद फेंकने की भी जरूरत नहीं है, इनका इस्तेमाल खाद के रूप में किया जा सकता है।
रेंजर मेधावी कीर्ति ने बताया कि महिलाओं को वन और पर्यावरण से जोड़ने का काम किया जा रहा है। गाय के गोबर से बनने वाले दीये, मूर्ती, धूपबत्ती आदि चीजों को बनाकर महिलायें आजीविका से जोड़ा सकती है इसको लेकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मानसिक शांति भी देंगे ये दीये इसलिए भी खास हैं क्योंकि इनमें लेमन ग्रास और मिंट जैसे उत्पादों का इस्तेमाल भी किया जाता है। ये घर की सुंदरता तो बढ़ाएंगे ही साथ ही आपको मच्छरों के आतंक से भी बचाएंगे। इनके जलने के बाद जो खुशबू आएगी वो आपको मानसिक शांति के साथ-साथ आराम भी देगी। माना जा रहा है कि गोबर के दीयों के आने से पशुपालन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।इस मौके पर रिटायर आईएएस ए.एस.खुल्लर भी मौजूद थे।