
नैनीताल हाई कोर्ट ने केदारनाथ की तर्ज पर पूरे उत्तराखंड में प्लास्टिक की बोतलों और प्लास्टिक पैकेजिंग वाले सामानों पर क्यूआर कोड लगाकर डिजिटल डिपाजिट सिस्टम के तहत पैकेजिंग और बोतलों को वापस करने वाले लोगों को प्रोत्साहन राशि देने की स्कीम को लागू करने के मसूरी नगर पालिका परिषद के सभागार में अधिशासी अधिकारी राजवीर चौहान के नेतृत्व में मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन, मसूरी डिस्ट्रीब्यूटर एसोसिएशन, मसूरी होटल एसोसिएशन, के साथ कई संस्थाओं के साथ बैठक कर डिजिटल डिपाजिट सिस्टम के बारे में चर्चा कर व्यापारियों और डिस्ट्रीब्यूटरों के सुझाव लिये जिसमें ज्यादातर लोगों ने डिजिटल डिपाजिट सिस्टम का विरोध किया। उन्होने कहा कि मसूरी में डिजिटल डिपाजिट सिस्टम लागू करना चुनौती है वह क्यूआर कोड को हर बोतलों में लगाना आसन प्रक्रिया नही है।

मसूरी ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने कहा कि नगर पालिका परिशइ रिसीटी और हिलदारी संस्था द्वारा मसूरी में प्लास्टिक की बोतलों और प्लास्टिक पैकेजिंग वाले सामानों पर क्यूआर कोड लगाकर डिजिटल डिपाजिट सिस्टम लागू करने की कार्य योजना के बारे में बताया गया है पर योजना में कई खामियां देखी जा रही है जिसको लेकर मसूरी की जनता इस सिस्टम को लागू करने के लिये तैयार नही है । उन्होंने कहा कि कानून किसी भी सामान के एमआरपी से ज्यादा कोई भी दुकानदार ग्राहक से ज्यादा पैसा वसूल नहीं कर सकता परन्तु क्यूआर कोड सिस्टम को लागू करने के लिये ग्राहक से एमआरपी से ज्यादा पैसा वसूलने की बात कही जा रही है। उन्होंने कहा कि नगर पालिका द्वारा 2010 में पर्यटकों से मसूरी में साफ सफाई और र्प्यावरण संरक्षण किये जाने को लेकर मसूरी कोलूखेत पर र्प्यटकों से इको शुल्क वसूला जाता है वह समय-समय पर नगर पालिका द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत पर्यटक से टैक्स के रूप् में पैसे वसूलने को लेकर योजनाएं बनाई जाती है परंतु उसको सुविधा के नाम पर कुछ नहीं दिया जा रहा है उन्होंने कहा कि शहर में ना तो कहीं पानी की प्याऊ की व्यवस्था है और ना ही कूड़ेदान की। उन्होने कहा कि अगर प्रदेष के किसी भी षहर में डिजिटल डिपाजिट सिस्टम के तहत काम किया जा रहा है और वहां पर का सफलता मिली है तो मसूरी के प्रतिनिधि मंडल पालिका के अधिकारियों के साथ षहर का निरीक्षण करेगे और उसी तर्ज पर मसूरी में डिजिटल डिपाजिट सिस्टम लागू करने पर विचार करेगे। उन्होने कहा कि मसूरी नगर पालिका में मात्र स्वच्छता का एक मुख्य काम है इसको लेकर पालिका प्रशासन द्वारा कई संस्थाओं के तहत काम कराया जा रहा है परन्तु स्वच्छता को लेकर किये जा रहे कामों को लेकर कोई पारदर्शिता नहीं अपनाई जा रही है ऐसे में नगरपालिका को सभी संस्थाओं द्वारा किए जा रहे कामों को लेकर ब्लूप्रिंट जारी करे।

अधिशासी अधिकारी राजवीर चौहान ने कहा कि उच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद उत्तराखंड में प्लास्टिक पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है इसी क्रम में प्लास्टिक की बोतलों और प्लास्टिक पैकेजिंग वाले सामानों में क्यूआर कोड को लगाए जाने हैं इसको लेकर लगातार कार्य योजना बनाई जा रही है वहीं सभी स्टेकहोल्डर के सुझाव भी लिए जा रहे हैं और सुझाव का संज्ञान लेते हुए योजनाओं में बदलाव भी किए जा रहे हैं उन्होंने कहा कि कोई भी योजना बिना जनता और स्थानीय स्टेकहोल्डर्स के सहयोग से सफल नहीं होती है ऐसे में मसूरी में डिजिटल डिपाजिट सिस्टम को लागू करने के लिए लोगों के सुझाव भी दिए जा रहे हैं और कार्य योजना के बारे में विस्तार से जानकारी भी दी जा रही है और 1 महीने के बाद इस पर दोबारा बैठक करके मसूरी में लागू करने की कोशिश की जाएगी।
बता दे कि हाई कोर्ट ने केदारनाथ की तर्ज पर पूरे उत्तराखंड में प्लास्टिक की बोतलों और प्लास्टिक पैकेजिंग वाले सामानों पर क्यूआर कोड लगवा कर डिजिटल डिपाजिट सिस्टम के तहत पैकेजिंग और बोतलों को वापस करने वाले लोगों को प्रोत्साहन राशि देने की स्कीम लागू करने के निर्देश दिए हैं। जिसको लेकर प्रदेष की नगर पालिकाओं और निगमों द्वारा डिजिटल डिपाजिट सिस्टम को लागू करने की कवायद की जा रही है। कोर्ट ने कहा है क्यूआर कोड की व्यवस्था निर्माता के स्तर पर ही कराने के राज्य सरकार आदेश निकाले ताकि उत्तराखंड में आने वाले प्लास्टिक पैकेजिंग के प्रोडक्ट पर पूर्व से ही क्यूआर कोड लगा हो। जिसे मैटेरियल रिकवरी सेंटर में दिखाने पर और पैकेजिंग और बोतल वापस करने पर उसकी प्रोत्साहन राशि का भुगतान हो सके।कोर्ट ने राज्य सरकार को ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सभी स्वच्छता कार्मिकों की बायोमैट्रिक उपस्थिति और सभी कूड़ा वाहनों पर जीपीएस लगाकर उनकी ट्रैकिंग ऐप के माध्यम से सुनिश्चित करने को कहा है।