मसूरी में मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक मदन मोहन मालवीय की 75 की पुण्यतिथि पर उनको याद किया। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देशवासियों ना बुला सकते है। 12 नवंबर 1946 को उनका निधन हुआ। गोपाल भारद्वाज ने बताया कि मदन मोहन मालवीय द्वारा हरिद्वार की हरकी पैड़ी में धर्म सभा की स्थापना की गई। मदन मोहन मालवीय द्वारा हरिद्वार में आरजकता के माहौल का समाप्त कर धर्मसभा का आयोजन किया गया।उन्होंने कहा कि मदन मोहन मालवीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे उन्होने कहा कि मसूरी के लिए सौभाग्य की बात है कि देश की कई महान हस्तीयो मसूरी आये वही मदन मोहन मालवीय 1915 में जब हरिद्वार लोगों के बीच उपजे विवाद को खत्म करने के बाद वह मसूरी पहुंचे थे।
1936 में वह दोबारा मसूरी आए थे और उस समय गोपाल भारद्वाज के पिता जी ने उनकी जन्मपत्री भी बनाई ।उन्होंने कहा कि पूर्व सांसद और पालिका अध्यक्ष रह चुके जगन्नाथ शर्मा घनानंद राजकीय इंटर कॉलेज में पढ़ते थे। वही जगन्नाथ शर्मा द्वारा अपनी आत्मकथा में मदन मोहन मालवीय का जिक्र करते हुए बताया कि घनानंद स्कूल आये थे जहा पर उनके द्वारा छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए देश की आजादी के संघर्ष के बारे में बताया गया। उन्होंने कहा कि मदन मोहन मालवीय को पहाड़ों की रानी बहुत ज्यादा पसंद थी और यहां कर उनको आत्मिक रूप से काफी शांति मिलती थी । उन्होने कहा कि अग्रेजो द्वाारा पहाडों की रानी को व्यवस्थित रूप् से विकसित गया था तिससे मसूरी काफी खूबसूरत और सुंदर दिखती थी। उन्होंने कहा कि उनके पिता द्वारा देश के शीर्ष नेतृत्व के साथ देश के प्रधानमंत्री डॉ राजेंद्र प्रसाद, सरदार पटेल, पंडित जवाहरलाल नेहरू, मोतीलाल नेहरू, राजा महाराजा की जन्मपत्री बनाई थी जो उनके पास अ आज तक संरक्षित रूप से रखी हुई है।
मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर 1861 को हुआ था वहीं 12 नवंबर 1946 को देहावसान हुआ था। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वह प्रणेता तो थे । भारत के पहले और अन्तिम व्यक्ति के तौर पर भी लोग उन्हें याद करते हैं जिनको महामना की सम्मानजनक उपाधि दी गई।