उत्तराखंड में लाखों अभ्यर्थियों को भर्ती परीक्षाओं का इंतजार है लेकिन शासन और विभागीय अधिकारियों की हीला हवाली के चलते उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को अधियाचन ही नहीं मिल पाए हैं। कई विभाग अभी तक खाली पदों के प्रस्ताव शासन को नहीं भेज पाए हैं। ऐसे में आयोग के पास कोई प्रस्ताव तक नहीं है। अगर बात करें पदों की तो उत्तराखंड में करीब 68 हजार पद खाली हैं।
सूबे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भले ही युवाओं को तेजी से रोजगारों देने का दावा कर रहे हों लेकिन शासन में बैठे अधिकारी, सीएम की इस मुहिम को पलीता लगा रहे हैं। आलम ये है कि आरक्षण समेत कई बिंदुओं को लेकर उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने भर्ती के जो प्रस्ताव संशोधित करने के लिए भेजे थे, उसे 6 महीने का समय बीत जाने के बाद भी लोक सेवा आयोग को वापस नहीं भेजे गए। जिसके चलते अब आयोग के पास कोई भर्ती प्रस्ताव नहीं है जिसकी परीक्षा कराई जा सके। दरअसल उत्तराखंड में पेपर लीक का मामला सामने आने के बाद से ही उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन सेवा आयोग को फिलहाल भर्ती परीक्षा कराने पर रोक है। पेपर लीक और भर्ती घोटाले के बाद सरकार एक्शन में आई थी। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन सेवा आयोग से समूह ‘ग’ की भर्ती का काम छीनकर उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को दिया गया। साथ ही सीएम धामी ने सभी विभागों को कड़े शब्दों में खाली पड़े पदों के प्रस्ताव शासन को भेजने के निर्देश दिए थे लेकिन कई विभाग ऐसे हैं जो अभी तक खाली पदों के प्रस्ताव शासन को नहीं भेज पाए हैं।
जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में तकरीबन 68 हजार पद सरकारी महकमों में खाली हैं। जिम्मेदारी मिलने के बाद उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने समय पर कैलेंडर जारी किया लेकिन शासन की ओर से आयोग को भर्तियों के अधियाचन भी नहीं मिला पाया। जबकि आयोग ने जो भर्तियों के प्रस्ताव के अधियाचन शासन से मांगे थे वो फाइलें धूल फांक रहे हैं। हालांकि आयोग दो बार शासन को रिमाइंडर भेज चुका है लेकिन शासन की हीला हवाली इसकी तस्दीक दे रही है कि अभी तक खाली पदों के प्रस्ताव आयोग को नहीं भेजे गए। अब यह स्थिति पैदा हो गई है कि लोक सेवा आयोग के पास कोई प्रस्ताव तक नहीं है। उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKPSC) को जब से समूह की भर्तियों की जिम्मेदारी मिली है, तब से आयोग 2022 में 21 भर्ती परीक्षा में से 19 भर्ती परीक्षा करा चुका है। दो परीक्षाएं ऐसी हैं, जिनमें नकल की बात आई थी। जिसके चलते आयोग इन दोनों भर्तियों को फिर से कराने जा रहा है। जबकि 2023 की शुरुआत से अब तक आयोग 9 परीक्षाएं संपन्न करा चुका है लेकिन अब आयोग को खुद ही टेंशन हो रही है कि सरकार यदि उन्हें भर्तियों के अधियाचन नहीं भेजता है तो आगामी दिनों में वो भर्ती परीक्षाओं को कैसे कराएगा?
दूसरी तरफ उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन सेवा आयोग (UKSSSC) पिछले एक साल से खाली बैठा है। यानी जून के बाद दोनों आयोग सरकार के लिए सफेद हाथी बन जाएंगे। माना कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन सेवा आयोग में पुरानी दो परीक्षाएं कराई है। लोक सेवा आयोग के अलावा अब सरकार उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को भी नए सिरे से जिम्मेदारी देने की तैयारी में है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, उत्तराखंड में कुल स्वीकृत 2,57,940 पदों में से 68,586 पद खाली हैं। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि शासन भर्ती परीक्षाओं के नए अधियाचन अगर नहीं भेजता है तो आगामी दिनों में आयोग किस आधार पर भर्ती कराएगा?