मसूरी। सिखों के गुरु, गुरू नानक जी कि जयंती धूमधाम के साथ मनाई गई इस मौके पर गुरूद्वारों में षबद कीर्तन किया गया व लंगर का आयोजन किया गया। गुरू सिंह सभा गांधी चौक और लंढौर के तत्वाधान में गुरूद्वारे में अरदास के बाद षबद कीर्तन का अयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में सिख परिवारों के साथ ही अन्य लोगों ने भाग लिया वहीं गुरु नानक देव के बताए रास्ते पर चलने का संकल्प भी लिया। । इस मौके पर ग्रंथी ने पाठ किया व षबद कीर्तन का आयोजन किया गया जिसमें सभी मौजूद श्रद्धालुओं गुरु नानक आरधना में लीन हो गए।
सभासद जसबीर कौर और बलदेव सिंह ने बताया कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव का जयंती प्रकाश पर्व के रूप में देश भर में मनाई जा रही है. सिक्खों के प्रथम गुरु रहे गुरू नानक ने अपने समय में हिंदू और मुसलमानों पर समान रूप से प्रभाव डाला था. सामाजिक और जीवन से संबंधित कुरीतियों को खत्म करने उपदेश देने के साथ उन्होंने ईश्वर प्राप्ति की ऐसी आध्यात्मिक राह दिखाई थी जो आम लोगों के लिए सहज थी जिसमें किसी तरह के कर्मकांड और प्रपंच नहीं थे. गुरु नानक देव जी की जन्मतिथि कार्तिक पूर्णिमा का दिन मानी जाती है जो दिवाली के 15 दिन का बाद आती है. सिख समुदाय के लोग इसी दिन उनका जन्मदिन पूरब पर्व या प्रकाशोत्सव के रूप में मनाते हैं.। उन्होने बताया कि गुरु नानक का साल1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था जो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का हिस्सा है. उन्होने बताया कि वे अंधविश्वास और आडंबरों के पर सवाल उठाते रहते थे. उनके समय में कई चमत्कारिक घटनाएं घटी जिनसे प्रभावित होकर उनके गांव के लोग उन्हें दिव्यात्मा का दर्जा देने लगे थे. नानक देव जी एक दार्शनिक, समाज सुधारक, कवि, गृहस्थ, योगी और देशभक्त भी थे. उन्होंने गुरुनानक देव जी मूर्तिपूजा को निरर्थक माना और हमेशा ही रूढ़ियों और कुसंस्कारों के विरोध करते रहे।