मसूरी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया गया। इस मौके पर मसूरी महात्मा योगेष्वर सरस्वती षिषु मंदिर के सभागार में भाशण प्रतियोगिता का आयोजल किया जिसमें विभिन्न स्कूलों के छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया। जिसमे की मुख्य विषय ’आधुनिक युग में सोशल मीडिया की और बढ़ता युवा एवम ’वैश्विक पटल पर ळ-20 थीम वसुधैव कुटुंबकम् की प्रासंगिकता’ रखा गया जिसमे प्रथम स्थान- गौरव सिंह , द्वितीय स्थान-अनुज रांगड, तृतीय स्थान -फातिमा अंजुम एवम चर्तुथ स्थान-अभय पंत रहे ।प्रथम ,द्वितीय,एवम तृतीय आने वाले प्रतिभागियों को 2100,1500, एवम 1100 रुपए व स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। पूर्व पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल, प्राचार्य अनिल चौहन , प्राचार्य मनोज रयाल ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। वक्ताओं ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ‘उच्च विचार और सादा जीवन’ के प्रतीक थे। यह दिन हमें हमारे जीवन में स्वामी विवेकानन्द के महत्व की याद दिलाता है। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था। वह भारत के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों में से एक थे। प्रत्येक भारतीय उनसे प्रेरणा ले सकता है। इस दिन युवाओं से मूल्यों, सिद्धांतों और विश्वासों पर खरा उतरने की अपेक्षा की जाती है। वह बहुत बहादुर भी थे, अपनी बहादुरी और बुद्धिमत्ता के कारण वह अपने मित्रों के समूह के नेता बन गये थे।राष्ट्रीय युवा दिवस युवा दिवस के नाम से भी प्रसिद्ध है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नगर मंत्री अमित पवार और अनिल सिंह अन्नू ने कहा कि विवेकानंद की ओजस्वी वाणी, ओजपूर्ण विचारों ने सुप्त लोगों को जागृत किया। उनकी युवावस्था देश के हर युवा के लिए एक बेहतरीन मिसाल है। यही वजह है उनके जन्मदिन को देश में युवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। भारत सरकार ने करीब 38 साल पहले उनकी जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाना शुरू किया। स्वामी विवेकानंद ने 1893 में, विश्व धर्म महासभा में शिकागो में आयोजित हुई बृहत्तर भारतीय धर्म महासभा में स्वामी विवेकानंद ने अपने अनभूत भावनाओं को साझा किया और वहां अपने उत्कृष्ट भाषण में आपका भारत कहकर भारतीय सभ्यता की महत्वपूर्णता को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। स्वामी विवेकानंद ने अपने विचारों में योग, साधना, ध्यान और सेवा का महत्व बताया। उन्होंने युवा पीढ़ी को जीवन में महत्वपूर्ण कार्यों के प्रति प्रेरित किया और उन्हें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत करने का संदेश दिया। स्वामी विवेकानंद का एक अन्य महत्वपूर्ण संदेश था धर्म में समानता और सहिष्णुता का। उन्होंने यह बताया कि सभी धर्म एक ही दिव्यता की ओर ले जाते हैं और सभी मानव एक ही परमात्मा के बच्चे हैं। इसलिए, हमें धार्मिक भेदभाव को छोड़कर समृद्धि और एकता की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
स्वामी विवेकानंद ने युवा पीढ़ी को जीवन का मतलब समझाने का कार्य किया। उन्होंने कहा, उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं होता।स्वामी विवेकानंद ने भारतीय समाज को जागरूक करने के लिए शिक्षा के महत्व को बताया और उन्होंने युवा पीढ़ी को शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भर और सक्षम बनने का मार्गदर्शन किया। इस मौके पर मुख्य वक्ता मनोज रयाल ने स्वामी विवेकानंद के जीवन में प्रकाश डालते हुए छात्रों को नवीन जीवन में आगे बढ़ने के लिए समझाया। प्राचार्य एम. पी.जी कॉलेज अनिल चौहान ने स्वामी विवेकानंद जी के किए गए समाज उत्थान कार्यों और युवाओं को मिल जुल कर समाज में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। इस मौके पर जिला प्रमुख दिनेश जैसाली, प्राचार्य शिशु विद्या मंदिर मनोज रयाल, प्राचार्य एमपीजी प्रो अनिल चौहान, समाजसेविका निधि बहुगुणा,नगर मंत्री अमित पंवार, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष ओपी उनियाल,जिला उपाध्यक्ष पुष्प पड़ियार,उपाध्यक्ष भाजपा अमित भट्ट, पूर्व उपाध्यक्ष एमपीजी आशीष कोठारी, पूर्व नगर मंत्री आदित्य पड़ियार,पूर्व उपाध्यक्ष एमपीजी मनीष कुकशाल , छात्रसंघ अध्यक्ष मोहन शाही,विश्वविद्यालय प्रतिनिधि अनुज रांगड , सह सचिव हिमांशु उनियाल, पूर्व सह सचिव शीला जवाडी,पूर्व उपाध्यक्ष सौरभ सिंह,उम्मेद चंद कुमाई,मनवीर तोमर,सुदीप्त भंडारी,अंकित पंवार,आशुतोष जोशी,अनामिका, तमन्ना चौहान,गौरव सिंह,अभय पंत, अभीषेक,फातिमा अंजुम आदि मौजूद थे।