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समीपवर्ती देवीकोल डांडा में मां भद्रकाली देवी भगवती की सालाना पूजा श्रद्धा पूर्वक संपन्न ही। आषाढ़ की समाप्ति और सावन माह की शुरुवात पर पड़ने वाली संक्रांति के दिन ग्रामीणों द्वारा पूजा की जाती है। इस मौके पर अनेक पश्वाओ पर देव अवतरित हुए।देविकोल मंदिर समिति द्वारा इस मौके पर मसूरी वन प्रभाग के केम्पटी रेंज के सहयोग से वृक्षारोपण किया गया। ग्रामीण महिलाओं और पुरुषों द्वारा अपनी लोक संस्कृति का ढोल दमाऊ की थाप के साथ तांदी नृत्य प्रस्तुत किया गया।
मसूरी के निकटवर्ती जौनपुर विकासखंड के पटटी सिलवाड़ के देवीकोल में मां भद्रकाली देवी का मेला आयोजित किया गया जिसमे बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मां भद्रकाली के दर्शन किए व परिवार, फसलों व पशुधन की समृद्धि की कामना की। इससे पूर्व मंदिर में पारंपरिक वाद्ययंत्रों के बीच मुख्य पुजारी ने मां भद्रकाली भगवती की विधि विधान से पूजा की व हवन के बाद ढोल दमाउं व रणसिंघे की गर्जना के बीच कई लोगों पर देवी देवता अवतरित हो गये। व देवताओं ने जमकर नृत्य किया व देवताओं के शांत होने के बाद श्रद्धालुओं ने मेले का आनंद लिया।
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जौनपुर विकास खंड के पटटी सिलवाड़ के मल्ली कांडी और खरक गांव के बीच लगभग 6000 फीट की उंची पहाड़ी पर मां भद्रकाली एवं मां भगवती के मंदिर में हर साल की तरह का मेले का आयोजन किया जाता है ।इस मौके पर कांडी मल्ली, कांडी तल्ली, सड़ब, बेल, परोगी, खरक, खरसोन, सुरांसू, बणगांव, जैद्वार, मेलगढ़, कोटी, पाब, सुमन क्यारी, नैनबाग, टटोर आदि लगभग दो दर्जन गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने जात्रा में भाग लिया व गाजे बाजे के साथ मंदिर में देवी मां के दर्षन करने गये। जहां मुख्य पुजारी ने मंदिर में पूजा अर्चना की व हवन किया। इस मौके पर ग्रामीणों ने मेला स्थल पर जमकर ढोल दमाऊ की थाप पर लोकनृत्य किया। वहीं ग्रामीणों ने मेले में लगी दुकानों से जमकर खरीददारी की वहीं अपने परिजनों व रिश्तेदारों से मुलाकात की। मंदिर समिति के सूरत सिंह रावत ने बताया की इस मेला को कई वर्षों से पूजा की जा रही है और यह मान्यता है कि जो कोई सच्चे मन से मां भद्रकाली की पूजा करता है उसकी मनोकामना पूरी होती है।