उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में मातृ शक्ति के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है उत्तराखंड राज्य का गठन मातृशक्ति के बिना होना संभव नहीं था और उत्तराखंड राज्य निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाली वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी और महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी के निधन के बाद पूरे प्रदेश में शोक की लहर है । सिके बाद पूरे प्रदेश में विभिन्न राज्य आंदोलनकारी और सामाजिक और राजनैतिक संगठनों द्वारा सुशीला बलूनी को श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है वही मसूरी के शहीद स्थल झूला घर पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने सुशीला बलूनी द्वारा राज्य आंदोलन में दिए गए बलिदान को याद किया और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की

इस मौके पर वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी एसपी चमोली ने बताया कि सुशीला बलूनी और उनकी शिक्षा दीक्षा एक साथ हुई है बताया कि सुशीला बलूनी शुरू से ही प्रदेश के विकास को लेकर चिंतित रहती थी और उत्तराखंड राज्य आंदोलन में उन्होंने कयी यातनाएं सही और महिलाओं में उत्तराखंड राज्य के निर्माण की अलख जगाई जिस कारण उत्तराखण्ड राज्य के निर्माण में महिलाओं ने बढचढ कर प्रतिभाग किया व कई महिलाओं ने अपनी जान दी। उन्होने कहा कि महिलाओं के द्वारा राज्य आंदोलन में दिया गया योगदान कभी भी नही भुलाया जा सकता। वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी प्रदीप भंडारी ने कहा कि सुशीला बलूनी आखरी सांस तक उत्तराखंड प्रदेश के विकास को लेकर चिंतित रही उन्होंने कहा कि जिस अवधारणा से राज्य का गठन किया गया था वह पूरा नहीं हो पाया है।
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी जय प्रकाश उत्तराखंडी, देवी गोदियाल, कमल भण्डारी, पूरण जुयाल, प्रदीप भण्डारी, मनमोहन सिंह मल्ल, ओ. पी. उनियाल, आर. पी. बड़ोनी, रजत अग्रवाल, मनोज सैली, एजाज अंसारी, मेघ सिंह कंडारी, बिल्लू वाल्मीकि, एस. पी. चमोली, भारत कमाई, परमजीत कोहली, अनिल गोयल, राजेश्वरी नेगी, प्रमिला पंवार, रीता खुल्लर, पुष्पा पुंडीर, कमलेश भंडारी, वीना गुणसोला समेत बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।